जाकिर नाईक की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
बांग्लादेश ने इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक के बारे में भारत से पूरी जानकारी मांगी है. हालांकि उसने यह भी कहा है कि पिछले महीने हुए गुलशन हमले के काफी पहले से कई प्रतिष्ठित उलेमा नाईक के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे.
भारत की छह दिवसीय यात्रा पर आए बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसनुल हक इनू ने कहा कि उनके देश ने कार्रवाई करते हुए नाईक की ‘पीस टीवी’ का प्रसारण बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया है. इनू ने संकेत दिया कि अब उन्हें विवादित उपदेश के खिलाफ भारत की कार्रवाई का इंतजार है.
इनू ने कहा कि उनके देश के पास बांग्लादेशी सीमा में पनपे आतंकवादियों और भारत में मौजूद चरमपंथी संगठनों के बीच संबंधों का कोई साक्ष्य नहीं है, लेकिन साथ ही उन्होंने 'आतंकवादियों को शरण देने' के लिए पाकिस्तान की आलोचना भी की. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में चिंतकों, ब्लॉगर्स और सूफी पंथ के लोगों पर 43 से ज्यादा हमले हुए हैं. जांच में यह बात सामने आई है कि लगभग 90 प्रतिशत मामलों में हमलावर प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान जमात-ए-इस्लामी संगठन पाकिस्तान के पक्ष में लड़ रहा था.
इनू ने संवाददाताओं से कहा, 'बांग्लादेश की ओर से जाकिर नाईक का मामला समाप्त हो गया है. हमने ‘पीस टीवी’ का प्रसारण रोक दिया है. पिछले एक वर्ष में उलेमाओं ने नाईक के खिलाफ लिखित शिकायत की है. हम उनकी जांच कर रहे हैं. हमें लगता है कि कुछ मामलों में उनके उपदेश कुरान से मेल नहीं खाते हैं. इसलिए, उससे भ्रम पैदा हो रहा है.' उन्होंने कहा, 'कुछ मामलों में वह भड़काउ हैं इसलिए हमने अपना फैसला लिया है. हमने भारतीय पक्ष से अपना फैसला लेने और हमें जरूरी सूचनाएं मुहैया कराने को कहा है.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भारत की छह दिवसीय यात्रा पर आए बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसनुल हक इनू ने कहा कि उनके देश ने कार्रवाई करते हुए नाईक की ‘पीस टीवी’ का प्रसारण बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया है. इनू ने संकेत दिया कि अब उन्हें विवादित उपदेश के खिलाफ भारत की कार्रवाई का इंतजार है.
इनू ने कहा कि उनके देश के पास बांग्लादेशी सीमा में पनपे आतंकवादियों और भारत में मौजूद चरमपंथी संगठनों के बीच संबंधों का कोई साक्ष्य नहीं है, लेकिन साथ ही उन्होंने 'आतंकवादियों को शरण देने' के लिए पाकिस्तान की आलोचना भी की. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में चिंतकों, ब्लॉगर्स और सूफी पंथ के लोगों पर 43 से ज्यादा हमले हुए हैं. जांच में यह बात सामने आई है कि लगभग 90 प्रतिशत मामलों में हमलावर प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान जमात-ए-इस्लामी संगठन पाकिस्तान के पक्ष में लड़ रहा था.
इनू ने संवाददाताओं से कहा, 'बांग्लादेश की ओर से जाकिर नाईक का मामला समाप्त हो गया है. हमने ‘पीस टीवी’ का प्रसारण रोक दिया है. पिछले एक वर्ष में उलेमाओं ने नाईक के खिलाफ लिखित शिकायत की है. हम उनकी जांच कर रहे हैं. हमें लगता है कि कुछ मामलों में उनके उपदेश कुरान से मेल नहीं खाते हैं. इसलिए, उससे भ्रम पैदा हो रहा है.' उन्होंने कहा, 'कुछ मामलों में वह भड़काउ हैं इसलिए हमने अपना फैसला लिया है. हमने भारतीय पक्ष से अपना फैसला लेने और हमें जरूरी सूचनाएं मुहैया कराने को कहा है.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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