सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था ‘अकाल तख्त' ने समुद्र किनारे व रिसोर्ट में विवाह के दौरान आचरण संहिता के उल्लंघन का हवाला देते हुए गुरु ग्रंथ साहिब (सिखों की पवित्र पुस्तक) को रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है. अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अमृतसर में पांच तख्तों के ‘सिंह साहिबान' की बैठक के बाद इस निर्णय की घोषणा की.
ज्ञानी रघबीर सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा, "संगत की कुछ शिकायतों के अनुसार, कुछ लोग 'मर्यादा' का उल्लंघन करते हुए समुद्र तटों व रिसॉर्ट्स पर गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना कर 'आनंद कारज' (सिख विवाह समारोह) का आयोजन करते हैं. पांच तख्तों के सिंह साहिबान ने समुद्र तटों, रिसॉर्ट्स और डेस्टिनेशन वेडिंग में 'आनंद कारज' करने के लिए गुरु ग्रंथ साहिब को स्थापित करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है."
बैठक में जत्थेदार के अलावा तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, तख्त केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह, तख्त हरमंदर साहिब के ग्रंथी ज्ञानी गुरमिंदर सिंह और तख्त हजूर साहिब से ज्ञानी गुरदयाल सिंह मौजूद थे. पिछले कई वर्षों में एक चलन सामने आया है, जिसमें सिख समुदाय के लोग रिसॉर्ट, समुद्र तटों व अन्य स्थलों पर विवाह समारोह के दौरान सिखों की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को रखते हैं.
अकाल तख्त ने होटलों, रिसॉर्ट्स और अन्य स्थानों पर विवाह समारोहों के दौरान 'सरूप' (गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति) ले जाने पर पहले से ही प्रतिबंध लगा रखा है.
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