लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता व कैबिनेट मंत्री आजम खां का विवादों से पुराना रिश्ता है। वह अब पूर्व में दिए गए अपने उपहारों को लेकर सुर्खियों में हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को लिखी उनकी एक चिट्टी इस वक्त कौतूहल का विषय बनी हुई है।
वाजपेयी को आजम की ओर से लिखा गया यह पत्र शुक्रवार को सार्वजनिक हुआ। इसमें उन्होंने वाजपेयी से पूर्व में दिए गए सारे उपहारों की एक सूची मांगी है।
उल्लेखनीय है कि आजम ने बीते बजट सत्र में सभी विधायकों को तोहफे में एक ब्रीफकेस और एक पत्र भेजा था। इसे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने चिट्ठी लिखकर वापस कर दिया। इससे खफा आजम ने चिट्ठी लिखकर पूर्व में दिए सारे उपहार भी वापस मांगे हैं।
आजम ने वाजपेयी को पत्र में लिखा, "आपका पत्र मिला। मैं पहले भी स्नेह के साथ तोहफे देता रहा हूं, जिसे आप द्वारा स्वीकार किया गया। लेकिन, इस बार आपने तोहफा वापस कर दिया। इसका मतलब है कि पूर्व में भी मेरे द्वारा भेजे गए उपहार आपको स्वीकार्य नहीं रहे होंगे, लेकिन किसी वजह से आपने रख लिए।"
उन्होंने लिखा, "अगर आपको यह उपहार वापस ही करना है, तो पूर्व में लिए गए उपहारों की भी एक सूची बनाकर मेरे कार्यालय भेज दें।"
इस मामले में बाजपेयी ने अपना पक्ष रखते कहा कि अभी तक आजम की ओर से उन्हें ब्रीफकेस के रूप में यही एक उपहार मिला था। इससे पहले कभी कोई तोहफा नहीं मिला। ऐसे में किन उपहारों की सूची बनाकर भेजूं? जो तोहफा मिला भी था, उसे वापस कर दिया है।
उनके अनुसार, आजम को चिट्टी लिखकर उपहार वापस कर दिया, जो कि 10 अप्रैल को उनके कार्यालय में रिसीव किया गया है। उपहार लेने और देने का समय और अवसर होता है, बिना अवसर के उपहार कैसा?
वाजपेयी को आजम की ओर से लिखा गया यह पत्र शुक्रवार को सार्वजनिक हुआ। इसमें उन्होंने वाजपेयी से पूर्व में दिए गए सारे उपहारों की एक सूची मांगी है।
उल्लेखनीय है कि आजम ने बीते बजट सत्र में सभी विधायकों को तोहफे में एक ब्रीफकेस और एक पत्र भेजा था। इसे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने चिट्ठी लिखकर वापस कर दिया। इससे खफा आजम ने चिट्ठी लिखकर पूर्व में दिए सारे उपहार भी वापस मांगे हैं।
आजम ने वाजपेयी को पत्र में लिखा, "आपका पत्र मिला। मैं पहले भी स्नेह के साथ तोहफे देता रहा हूं, जिसे आप द्वारा स्वीकार किया गया। लेकिन, इस बार आपने तोहफा वापस कर दिया। इसका मतलब है कि पूर्व में भी मेरे द्वारा भेजे गए उपहार आपको स्वीकार्य नहीं रहे होंगे, लेकिन किसी वजह से आपने रख लिए।"
उन्होंने लिखा, "अगर आपको यह उपहार वापस ही करना है, तो पूर्व में लिए गए उपहारों की भी एक सूची बनाकर मेरे कार्यालय भेज दें।"
इस मामले में बाजपेयी ने अपना पक्ष रखते कहा कि अभी तक आजम की ओर से उन्हें ब्रीफकेस के रूप में यही एक उपहार मिला था। इससे पहले कभी कोई तोहफा नहीं मिला। ऐसे में किन उपहारों की सूची बनाकर भेजूं? जो तोहफा मिला भी था, उसे वापस कर दिया है।
उनके अनुसार, आजम को चिट्टी लिखकर उपहार वापस कर दिया, जो कि 10 अप्रैल को उनके कार्यालय में रिसीव किया गया है। उपहार लेने और देने का समय और अवसर होता है, बिना अवसर के उपहार कैसा?
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