सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा है कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित पैनल ने जो रास्ता सुझाया है वह हिंदू-मुसलमान दोनों के लिए 'जीत' वाला रास्ता है यानी सभी पक्षों के लिए अच्छा है. हालांकि वकील शाहिद रिजवी ने इस प्लान का खुलासा करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा,'जो प्लान मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपा है उसे यहा नहीं बताया जा सकता है. यह एक सबके लिए सकारात्मक है, हिंदू-मुस्लिम दोनों खुश होंगे. जब उनसे जोर देकर पूछा गया कि क्या इससे दोनों पक्ष सहमत होंगे, तो उनका कहना था, यह हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के लिए 'विन-विन' वाला समझौता है'. वहीं सूत्रों की मानें तो सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन से दावा छोड़ने की बात कही है और इसको इस बात पर भी कोई आपत्ति नहीं होगी कि सरकार जमीन लेकर राम मंदिर बनाने के लिए सौंप दे. एनडीटीवी ने बुधवार को ही यह रिपोर्ट दी थी कि मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट यह बातें लिखी गई हैं.
वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि इसके बदले में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन पर दावा छोड़ने के साथ ही प्रस्ताव भी रखा है कि अयोध्या में बाकी मस्जिदों का सरकार पुनरुद्धार कराए, मस्जिद बनाने के लिए कहीं और जमीन मुहैया कराई जाए. पैनल की यह रिपोर्ट 134 साल पुराने इस विवाद को सुलझाने में अहम कड़ी साबित हो सकती है. मध्यस्थता पैनल में सुप्रीम कोर्ट रिटायर जज एफएम कलीफुल्ला, श्री श्रीरविशंकर और वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू शामिल हैं. ॉ
Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देंगे बाबरी मस्जिद के पक्षकार
अयोध्या मामले में बुधवार को सुनवाई पूरी हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच अब इस पर 17 नवंबर से पहले फैसला सुना सकती है क्योंकि इसी दिन प्रधान न्यायाधीन रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं.
Ayodhya Case: जमीन देने में सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को ऐतराज नहीं- सूत्र
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