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This Article is From Sep 24, 2019

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- हिन्दू सन 1886 में ही मंदिर बनाना चाहते थे

मुस्लिम पक्ष की तरफ से जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि जन्मस्थल पर राम जन्म का विश्वास तो है, पर सबूत नहीं

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- हिन्दू सन 1886 में ही मंदिर बनाना चाहते थे
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस में मंगलवार को 30 वें दिन की सुनवाई की (विवादित स्थल की फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

अयोध्या केस (Ayodhya Case) में मंगलवार को 30 वें दिन की सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर निरंतर सुनवाई हो रही है. मुस्लिम पक्ष की ओर से उसके वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हिन्दू 1886 केफैसले में पूजा का अधिकार मिलने के बाद विवादित स्थल पर बने चबूतरे पर ही मंदिर बनाना चाहते थे. पर तब के जिला कोर्ट ने इसकी इजाज़त नहीं दी थी. मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में स्वीकार किया कि राम चबूतरे पर भगवान राम का जन्म हुआ था. उन्होंने कहा कि बाद में गुंबद वाले स्थान पर भी हिंदू दावा करने लगे. मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने आज अपनी दलीलें पूरी कर लीं.     

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि मुस्लिम वहां पर नमाज पढ़ते थे, इस पर सवाल उठाया जा रहा है. स्थल पर 22-23 दिसंबर की रात को जिस तरह से मूर्ति को रखा गया, वह हिन्दू नियम के अनुसार सही नहीं है. धवन ने कहा कि 40 गवाहों की गवाही को क्रास इक्जामिनेशन नहीं किया गया. गोपाल सिंह विशारद की याचिका में भी भगवान राम के जन्मस्थान के बारे में नहीं बताया गया. मस्जिद के बीच के गुम्बद के नीचे जन्मस्थान होने का दावा किया गया और पूजा के अधिकार की मांग की गई.

धवन ने कहा कि जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने माना था कि राम चबूतरे पर पूजा की जाती थी. धवन ने हाईकोर्ट के एक जज के ऑब्जर्वेशन का विरोध किया जिन्होंने कहा था कि मुस्लिम वहां पर अपना कब्जा साबित नहीं कर पाए थे. धवन ने कहा कि हम इसका  विरोध करते हैं, हमारा वहां पर कब्ज़ा था. उन्होंने शीतल दुबे की रिपोर्ट का ज़िक्र किया जिसमें कहा गया था कि मस्जिद के परिसर में हवन और पूजा होती थी और नमाज नहीं होती थी. इस पर धवन ने कहा कि वह हवन और पूजा भी हो सकती है. इस रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया कि पूजा और हवन मस्जिद के अंदरूनी आंगन में होती थी.

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धवन अयोध्या विवाद से जुड़ी कई पुरानी याचिकाओं का जिक्र करते हुए साबित करने की कोशिश कर रहे थे कि मस्जिद पर मुस्लिम पक्ष का कब्ज़ा था. धवन ने कहा कि मुतावल्ली ने अर्ज़ी दाखिल की थी जिस पर सरकार ने आदेश दिया था. गर मस्जिद पर मुस्लिमों का कब्ज़ा नहीं होता तो वह मुतावल्ली अर्ज़ी क्यों लगाता और सरकार फैसला क्यों देती. इससे साबित होता है कि मस्जिद पर मुस्लिमों का कब्ज़ा था. उन्होंने कहा कि मोहम्मद अजगर ने कब्रिस्तान पर कब्ज़े के लिए अर्ज़ी लगाई थी.

राजीव धवन ने हिन्दू पक्ष के एक गवाह का बयान पढ़ते हुए कहा कि भगवान राम की मूर्ति गर्भ गृह में नहीं थी. गर्भ गृह के अंदर कोई भी भगवान की तस्वीर नहीं थी, लेकिन तब भी जो लोग पूजा करने आते वे रेलिंग की तरफ जाकर गर्भगृह  की तरफ जाते थे. राजीव धवन ने कहा कि गर्भ गृह के भीतर कभी पूजा नहीं हुई. गलत तरीके से रखी गई मूर्ति से दावे का अधिकार नहीं हो सकता. अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने बहस पूरी कर ली.

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मुस्लिम पक्ष की तरफ से जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि जन्मस्थल पर राम जन्म का विश्वास तो है, पर सबूत नहीं. उन्होंने कहा कि रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण, यह तो याचिकाकर्ताओं को साबित करना है कि और कौन-कौन सी किताबों में ज़िक्र है! मानस और रामायण में कहीं विशिष्ट तौर पर राम जन्म स्थान का कोई जिक्र नहीं. सन 1949 से पहले मध्य गुंबद के नीचे राम जन्म, पूजा का कोई अस्तित्व या सबूत नहीं मिलता.

जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि आप यह सबूत भी देंगे कि 1949 से पहले वहां नियमित नमाज़ होती थी? जिलानी ने कहा इसके लिखित नहीं ज़बानी सबूत हैं. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि हिन्दू पक्ष भी, रामायण और मानस में अयोध्या में दशरथ महल में राम जन्म का ज़िक्र है लेकिन स्थान का नहीं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि दोनों ग्रंथों में अयोध्या में रामजन्म का ज़िक्र है. इसका मतलब क्या यह है कि अयोध्या में कहीं भी राम जन्मभूमि का दावा कर दें?

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जिलानी ने कहा कि राम चबूतरा मंदिर से पुराना नहीं है. उन्होंने रामानंदाचार्य और रामभद्राचार्य के हवाले से कहा कि उनकी मानस टीका में भी अवधपुरी का ज़िक्र है, किसी खास स्थान का नहीं. दोहा शतक के सबूत को जिलानी ने खारिज करते हुए कहा कि इसके तुलसीकृत होने का सबूत नहीं दिया गया. स्कन्दपुराण में अयोध्या खण्ड में राम जन्मस्थान को लेकर चौहद्दी और दूरी का जिक्र है, लेकिन अब वह जगह नहीं मिल रही जिसका जिक्र पुराण में है.

जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अयोध्या में राम जन्म को लेकर आपका विवाद नहीं? सिर्फ जन्मस्थान को लेकर है? इस पर जिलानी ने कहा जी बिल्कुल. जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि आप राम चबूतरे को राम जन्मस्थान मानते हैं? तो
जिलानी ने कहा जी हां, पहले सभी यही मानते रहे हैं. स्कन्दपुराण कहता है कि जन्मस्थान अमुक-अमुक स्थान से अमुक दूरी पर है. लेकिन अब वो स्थान अस्तित्व में नहीं है.

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जिलानी ने कहा  कि सन 1886 में जिला जज ने भी अपने फैसले में राम चबूतरा को जन्मस्थान मानते हुए वहां पूजा करने की इजाज़त दी थी. 1886 के फैसले में ये भी कहा गया कि चबूतरा ही जन्मस्थान है. पर बाद में हिन्दू जन्मस्थान मंदिर बताते हुए आंतरिक अहाते और गुंबद वाली इमारत पर दावा करने लगे. बोबड़े ने पूछा - आप मानते हैं कि इस फैसले को किसी ने चुनौती नहीं दी? जिलानी ने कहा कि हमने तो चुनौती नहीं दी. पर बाद में बहुत सी रिट दाखिल हुईं. पर वे इसे चुनौती देते हुए नहीं बल्कि अधिकार को लेकर थीं.

जिलानी ने कहा कि हिन्दू 1886 के फैसले में पूजा का अधिकार मिलने के बाद वहां चबूतरे पर ही मंदिर बनाना चाहते थे. पर तब के जिला कोर्ट ने इसकी इजाज़त नहीं दी थी. गवाह सत्यनारायण त्रिपाठी के बयान का हवाले देते हुए जिलानी ने कहा कि मानस में भी सिर्फ अयोध्या का ज़िक्र है राम जन्मस्थान का नहीं. एक गवाह ने दशरथ के महल में रामजन्म होने का ज़िक्र किया है, पर महल की स्थिति का पता नहीं.

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि गवाहों ने शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा है कि सीताकूप के अग्निकोण में 200 कदम दूर श्री राम का जन्मस्थान है. जिलानी ने नक्शा बताते हुए कहा कि जन्मस्थान और सीता कूप के उत्तर-दक्षिण का भी जिक्र है, लेकिन जन्मस्थान मंदिर, और चबूतरे को मान रहे थे. फिर हिंदुओं ने अपना विश्वास बदल दिया और दोनों जगहों पर दावा करने लगे.

जिलानी ने कहा कि एक गवाह ने भी बताया कि कवितावली और अन्य ग्रंथों में भी राम जन्म अयोध्या या अवधपुरी या साकेत में होने का जिक्र है, पर विशिष्ट जन्मस्थान का नहीं. गवाह भी वशिष्ठ कुंड, लोमश कुंड, विध्नेश्वर गणेश और पिण्डारक से विवादित स्थल की दूरी और दिशा के बारे में कुछ नहीं बता पाए. वाल्मीकि रामायण में भी कोई विशिष्ट स्थान नहीं बताया गया. रामचरित मानस की रचना मस्जिद बनने के करीब 70 साल बाद हुई, लेकिन कहीं यह जिक्र नहीं है कि राम जन्म स्थान वहां है जहां मस्जिद है. यानी जन्म स्थान को लेकर हिंदुओं की आस्था भी बाद में बदल गई.

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जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई, पहले कभी मंदिर था उस जगह मस्जिद बनाई या खाली जगह पर मस्जिद बनी? इस सवाल पर जिलानी बोले बाबर ने खाली प्लाट पर मस्जिद बनाई थी. अगर पहले मंदिर रहा होगा, तो बाबर को इसकी जानकारी न हो.

जिलानी ने कहा कि आईन-ए-अकबरी में भी राम जन्मभूमि का नहीं लेकिन पवित्र शहर अवध का जिक्र है, जहां हिन्दू राम की पूजा करते हैं. जस्टिस भूषण ने जिलानी को टोका कि स्कन्दपुराण का हवाला तो आपके गवाह ने भी दिया है जिसमें उसने राम जन्मस्थान की बात कही है. जिलानी ने कहा कि स्कन्दपुराण तो 18 वीं सदी में पब्लिश हुआ था. जस्टिस भूषण ने कहा कि बात पब्लिश की नहीं, पुराण के लेखन की बात करें. आपके गवाह ने ही छठी सदी में लिखे जाने की बात कहते हुए कहा था कि शायद ये उससे भी पहले अस्तित्व में आया होगा.

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपकी दलील जन्मस्थान का ज़िक्र नहीं होने से है? जिलानी ने कहा कि हां वहां मस्जिद को बाबरी कहा जाए या नहीं. यह ज़्यादा ज़रूरी है कि उस ढांचे में हिन्दू पूजा नहीं करते थे. जिलानी ने कहा कि मस्जिद जहां बनी वहां मंदिर नहीं था, मंदिर सरयू के किनारे था. उनका भी कहना है कि जन्मस्थान मंदिर रामकोट, यानी किले में था.

जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि आईन-ए-अकबरी में मस्जिद का ज़िक्र नहीं है? जिलानी ने कहा कि हिंदुओं का यह दावा गलत है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. जस्टिस बोबड़े ने पूछा रामकोट, कहां है वो किला? जिलानी ने कहा कि वह तो पूरे शहर के चारों ओर बनी दीवार थी. लेकिन अब तो वह एक मोहल्ला का नाम है. किला तो नक्शे में ही है. नक्शे में दुर्ग भी लिखा है. इस पर कोर्ट ने नक्शा दिखाते हुए कहा कि नक्शे में तो एक छोटे से हिस्से को दुर्ग बताया गया है. जिलानी ने कहा कि नदी के किनारे एक बंगला था. उसे ही फोर्ट्रेस कहा गया होगा. ट्रेफेन थेलर जैसे कुछ यात्रियों ने भी फोर्टेस का जिक्र किया है लेकिन वो और है. जस्टिस बोबड़े ने कहा कि क्या राम जन्मस्थान की एक्ज़ेक्ट कोई लोकेशन है? जिलानी ने कहा नहीं. बोबड़े ने फिर पूछा कि तो राम चबूतरे को जन्मस्थान मानते हैं? जिलानी ने कहा कि हां, हिन्दू भी यही मानते हैं.

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इसके बाद सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई.

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