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This Article is From Dec 17, 2019

NDTV से बोले कन्हैया कुमार- 'नागरिकता देने के नाम पर लोगों से नागरिकता छीनने की तैयारी की जा रही'

कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने कहा कि आज जिस तरीके से गुलामी थोपने की कोशिश की जा रही, मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि नागरिकता के नाम पर लोगों से नागरिकता छीनने की तैयारी की जा रही है.

कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने NDTV से की खास बातचीत.

नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन क़ानून (Citizenship Act) और एनआरसी (NRC) के बाद देश भर में विरोध-प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई है. देशभर के कई विश्वविद्यालय परिसर उबल रहे हैं. इस बीच इसी मुद्दे पर जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने NDTV से खास बातचीत की. कन्हैया कुमार ने कहा कि संविधान बचाने के लिए छात्र सड़कों पर उतरे हैं. उन्होंने कहा कि ये देश हिंसा में भरोसा करने वाला देश नहीं है. इस देश का आम जनमानस हिंसा का समर्थक नहीं है. कन्हैया कुमार ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री जी भाषण अच्छा देते हैं. जब वह मुख्यमंत्री थे, तब वह महंगाई की बात करते थे, प्याज के कीमत की बात करते थे, लेकिन प्रधानमंत्री बनते ही सारे मुद्दे भूल गए. उन्होंने कहा कि अब हर बात पर नेहरू को दोष दिया जाता है. विपक्ष अगर कोई सवाल उठाता है तो यह कहा जाता है कि भ्रष्टाचार तो कांग्रेस के जमाने में भी था, महंगाई तो कांग्रेस के जमाने में भी थी.

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कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने कहा कि ये सवाल मुझसे बार-बार पूछा जाता है कि आपको किस चीज से आजादी चाहिए? आजादी की बात हमेशा इसलिए करते रहना चाहिए ताकि समाज पर गुलामी हावी न हो जाए और समाज की जो समस्याएं हैं उन समस्याओं से हमें आजादी चाहिए. अलग-अलग तबकों की अलग-अलग समस्याएं हैं. विद्यार्थी चाहते हैं उन्हें अशिक्षा से आजादी मिले. गरीब चाहते हैं गरीबी से आजादी मिले, जो महिलाएं हैं वो चाहती हैं कि पुरुषवादी सोच से आजादी मिले. आजाद देश में आजादी की बात नहीं होगी तो गुलामी की बात होगी क्या?

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कन्हैया कुमार ने कहा कि आज जिस तरीके से गुलामी थोपने की कोशिश की जा रही, मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि नागरिकता के नाम पर लोगों से नागरिकता छीनने की तैयारी की जा रही है. बार-बार प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं, अमित शाह जी कह रहे हैं कि देश में रह रहे लोगों को इससे कोई समस्या नहीं है.

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कन्हैया कुमार ने कहा कि यह बहुत अफसोसजनक बात है कि प्रधानमंत्री जी सिर्फ अपने मन की बात करते हैं. अगर वह विद्यार्थियों के मन की बात सुनने को तैयार होते तो आज देश में ऐसे हालात नहीं होते. उन्होंने कहा कि जब सरकार अपने नागरिकों की बात सुनना बंद कर देती है तभी उन्हें मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ता है. प्रधानमंत्री जी एक बार फिर मुद्दों से लोगों को गुमराह कर रहे हैं.

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