दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की बिजली कंपनियों का लेखापरीक्षण कराने पर आखिरी फैसला लेते हुए बुधवार को साफ कर दिया कि सीएजी इन कंपनियों का ऑडिट करेगा। 1 जुलाई 2002 से इन बिजली कंपनियों के खातों की जांच होगी। मुख्यमंत्री की सिफारिश पर उपराज्यपाल ने यह आदेश दिया है।
केजरीवाल ने एनडीटीवी से बताया है कि इन कंपनियों को जो मंगलवार को कारण बताओ नोटिस के जवाद संतुष्टि वाले नहीं है। साथ ही इस पूरे मामले में पहले से कोर्ट में जो केस चल रहा है, वह इस प्रकार के आदेश पर रोक नहीं लगाता है। यह दावा केजरीवाल ने किया है।
इससे पहले आज दिन में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, "बिजली वितरण कंपनियों का जवाब (बुधवार) दोपहर तक आने की संभावना है। अंतिम फैसला आज लिया जाएगा।"
दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शनिवार को शपथ लेने के बाद केजरीवाल ने मंगलवार को अपना दूसरा चुनावी वादा पूरा किया। उन्होंने सब्सिडी के जरिये बिजली की दर घटा दी, जिसका लाभ करीब 28 लाख परिवारों को मिलेगा।
हर माह अधिकतम 400 यूनिट तक बिजली खपत करने वालों को 50 फीसदी सब्सिडी मिलेगी।
केजरीवाल ने मंगलवार को उम्मीद जताई थी कि लेखापरीक्षण के बाद सब्सिडी की जरूरत खत्म हो जाएगी।
उन्होंने बुधवार को हालांकि माना कि सब्सिडी के जरिये बिजली दर घटाया जाना स्थायी समाधान नहीं है।
उन्होंने कहा, "इस रास्ते पर लंबे समय तक चला नहीं जा सकता है। इसलिए लेखापरीक्षण जरूरी है। यह सिर्फ लंबी अवधि का समाधान ढूंढने के पहले लोगों को कुछ समय के लिए राहत देने जैसा है।"
केजरीवाल ने दिल्ली की बिजली कंपनियों का लेखापरीक्षण करवाने के लिए मंगलवार को देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) शशि कांत शर्मा से मुलाकात की थी।
लेखापरीक्षण के दायरे में आने वाली तीन कंपनियां हैं - रिलायंस की कंपनियां बीएसईएस, बीएसईएस राजधानी (बीआरपीएल) और बीएसईएस यमुना (बीवाईपीएल)। आम आदमी पार्टी के मुताबिक इन कंपनियों के खाते में दिखाई गई आय की स्थिति पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
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