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This Article is From Apr 08, 2011

अन्ना की मांगों पर सरकार का अड़ियल रुख

New Delhi: सरकार ने प्रभावी लोकपाल विधेयक के संबंध में अन्ना हजारे की मांगों पर यह कहकर अड़ियल रुख अपना लिया है कि वह संयुक्त मसौदा समिति की अध्यक्षता किसी गैर-सरकारी व्यक्ति को देने और आधिकारिक अधिसूचना जारी करने की मांग स्वीकार नहीं कर सकती। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की शुक्रवार सुबह कार्यकर्ताओं स्वामी अग्निवेश और अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक निर्धारित थी, लेकिन यह नहीं हो पाई, क्योंकि दोनों पक्षों ने कहा कि वे एक-दूसरे का इंतजार कर रहे हैं। बैठक अब शाम छह बजे होगी। सिब्बल ने कहा कि लोकपाल विधेयक पर संयुक्त मसौदा समिति में सिर्फ सरकारी अधिकारी शामिल होंगे और कोई भी मंत्री इसका हिस्सा नहीं होगा। उन्होंने कहा, संयुक्त समिति के गठन पर आधिकारिक अधिसूचना की कोई संभावना नहीं है, लेकिन हमने उन्हें बताया है कि हम कानून मंत्रालय और प्रेस नोट के जरिए एक आधिकारिक पत्र देना चाहते हैं।सिब्बल ने कहा कि वह अपने मंत्री सहकर्मी सलमान खुर्शीद के साथ गांधीवादी हजारे के समर्थकों अरविंद केजरीवाल और स्वामी अग्निवेश का सुबह इंतजार कर रहे थे, लेकिन वे नहीं आए। इस पर उन्होंने उन्हें फोन किया। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि स्वामी अग्निवेश ने अधिसूचना जारी करने के मुद्दे पर सरकार की स्थिति के बारे में पूछा, तो मैंने उन्हें कहा कि हमारी स्थिति पहले जैसी ही है। उन्होंने कहा, संयुक्त समिति के गठन के लिए अधिसूचना जारी करना सरकार के लिए संभव नहीं है। हलांकि हम सरकारी विभाग, जो कानून मंत्रालय हो सकता है..और प्रेस नोट के जरिए एक आधिकारिक पत्र जारी करना चाहते हैं। सिब्बल ने कहा कि सरकार के लिए यह मांग स्वीकार करना संभव नहीं है कि संयुक्त समिति की अध्यक्षता किसी गैर-सरकारी व्यक्ति को सौंपी जाए। मंत्री ने कहा, अन्य सभी शर्तें और सभी अन्य बिन्दु हमें स्वीकार्य हैं। अब तक सिब्बल सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश और आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल से तीन बार बात कर चुके हैं, लेकिन अभी दो मुद्दों पर सहमति नहीं बनी है, जिसमें कमेटी के औपचारिक नोटिफिकेशन की घोषणा और अन्ना हजारे को कमेटी का अध्यक्ष बनाने का मुद्दा शामिल है। हालांकि अन्ना ने साफ कर दिया है कि वह ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। आंदोलनकारियों ने सरकार के सामने कुल पांच मांगें रखीं थीं, जिनमें तीन मांगें सरकार ने मान ली। सरकार ने लोकपाल बिल तैयार करने वाली कमेटी में 50 फीसदी सामाजिक कार्यकर्ताओं और 50 फीसदी सरकारी नुमाइंदे रखने की बात मान ली है। सरकार ने यह भी मान लिया है कि कमेटी के गठन के फौरन बाद बैठक हो और संसद के मानसून सत्र में लोकपाल बिल पेश किया जाए।(इनपुट भाषा से भी)

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