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This Article is From Aug 02, 2011

लोकपाल पर अन्ना की सरकार को घेरने की कोशिश

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक संगठनों की मुहिम के तहत अन्ना हजारे की टीम ने सोमवार को यह कहकर सरकार को कठघड़े में खड़ा करने का प्रयास किया कि देश के अधिकतर हिस्से में लोग सामाजिक संगठनों द्वारा तैयार जन लोकपाल विधेयक के पक्ष में हैं। उनके अनुसार, यहां तक कि केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के संसदीय क्षेत्र चांदनी चौक में भी 85 प्रतिशत से अधिक लोगों ने जन लोकपाल विधेयक के समर्थन में होने की बात कही। सिब्बल ने हालांकि इसे सिरे से खारिज कर दिया। सिब्बल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "वे (सामाजिक कार्यकर्ता) बेहद सदाचारी बन रहे हैं.. मैं समझता हूं वे अपने साथ अन्याय कर रहे हैं.. मैं चकित हूं कि परिणाम 100 प्रतिशत क्यों नहीं है!" कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तो व्यंग्यात्मक लहजे में यहां तक कह दिया, "वैसे सामाजिक संगठन है क्या?" वहीं, भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल विधेयक के सरकारी मसौदे से नाराज अन्ना हजारे 16 अगस्त से प्रस्तावित अपने अनशन पर अड़े हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस से उन्हें अभी तक अनशन की अनुमति नहीं देने सम्बंधी कोई औपचारिक पत्र नहीं मिला है। उन्होंने कहा, "यदि पुलिस हमें अनशन नहीं करने देगी तो मैं जेल जाऊंगा। यह देश में आजादी की दूसरी लड़ाई है और मैं आखिरी सांस तक भ्रष्टाचार के खिलाफ लडूंगा।" उनकी टीम के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा, "पुलिस ने कुछ स्पष्टीकरण मांगा था, जो हमने उन्हें दे दिया है। अब तक की हमारी योजना के अनुसार हमारा अनशन अवश्य होगा।" लोकपाल विधेयक पर चांदनी चौक इलाके में कराए गए जनमत सर्वेक्षण के परिणामों का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि निष्कर्ष लोगों को घर-घर जाकर सरकार और सामाजिक संगठनों द्वारा तैयार लोकपाल विधेयक के मसौदे की विस्तृत जानकारी के साथ दी गई एक प्रश्नावली पर आई उनकी राय के आधार पर निकाला गया है। केजरीवाल ने कहा, "82 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखने के पक्ष में हैं, जबकि सरकारी मसौदे में ऐसा नहीं है। 85 प्रतिशत लोगों ने यह भी कहा कि सभी राज्यों में लोकायुक्त होने चाहिए। देश के अन्य हिस्सों में भी बहुसंख्यक लोग जन लोकपाल विधेयक का समर्थन करते हैं। नागपुर में 81 प्रतिशत और मुम्बई में 95 प्रतिशत लोगों ने इसके पक्ष में होने की बात कही।" अन्ना हजारे ने कहा, "यदि लोगों के विचारों को तवज्जो नहीं दी जाती है तो यह लोकतंत्र नहीं है। 85-86 प्रतिशत लोग हर मुद्दे पर हमसे सहमत हैं। क्या वाकई कपिल सिब्बल अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं?"

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