Amritsar train accident: अमृतसर ट्रेन हादसे की 7 वजहें
अमृतसर:
पंजाब के अमृतसर (Amritsar train accident) में दशहरे के दिन रावण दहन के दौरान मौत की रेल ने करीब 59 जिंदगिंयां छीन ली. अमृतसर में जोड़ा फाटक के पास शुक्रवार की शाम रावन दहन के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से 59 लोगों की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है. अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास शुक्रवार की शाम दशहरा (dussehra 2018) के मौके पर रावण दहन देखने के लिए बबड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी थी. लोग रेल की पटरियों पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे, तभी अचानक तेज रफ्तार में ट्रेन आई और सैकड़ों लोगों को कुचलती हुई चली गई. ट्रेन जालंधर से अमृतसर आ रही थी तभी जोड़ा फाटक पर यह हादसा हुआ. इस हादसे को लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं. तो चलिए जानते हैं कि आखिर इन हादसों की वजहें क्या थीं...
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आयोजकों का इंतजाम सही नहीं था: दरअसल, जिस जगह पर रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, उसके हिसाब से आयोजकों को काफी तैयारियां करने की जरूरत थी. आयोजकों ने भीड़ और मेरे के मद्देनजर इंतजाम सही नहीं किया था. आयोजकों ने रावण दहन देखने के लिए एलईडी स्क्रीन का भी इस्तेमाल किया था, जिसका एक भाग पटरी की तरफ था. यही वजह है कि पटरियों पर लोग खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे.
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रेलवे को आयोजन का पता नहीं: रेलवे का कहना है कि उसे इस रावण दहन कार्यक्रम के बारे में कोई सूचना नहीं मिली थी. आयोजकों ने रेलवे को इसके बारे में किसी तरह से सूचित नहीं किया था. यही वजह है कि रेलवे ने एयहतियातन कोई कदम नहीं उठाया. वहीं रेलवे का कहना है कि अंधेरे की वजह से भी ड्राइवर भीड़ का अनुमान लगाने में नाकामयाब रहा.
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मुख्य अतिथि नवजोत कौर सिद्धू का देर से पहुंचना: दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि अगर रावण दहन कार्यक्रम में पंजाब कांग्रेस की नेता नवजोत कौर सिद्धू देर से पहुंची थी. अगर वह समय पर पहुंचतीं तो समय से रावण दहन हो जाता, और संभव है कि लोग वहां से हट भी गये होते. बताया जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस की नेता नवजोत कौर सिद्धू को 4.30 में पहुंचना था, मगर वब 6 बजे के बाद पहुंचीं थीं. करीब 6.15 बजे.
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पटाखों की आवाज: अमृतसर हादसे की मुख्य वजहों में से एक पटाखों की आवाज भी है. दरअसल, रावण दहन के दौरान चारों तरफ पटाखों की आवाजें गूंज रहीं थीं. यही वजह है कि जब ट्रेन आई, तो लोगों को इसका आभास नहीं हुआ और समय रहते अपने आपको पटरियों के ट्रैक से अलग नहीं कर पाए.
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अच्छे नजारे देखने की लालसा: ऐसा बताया जा रहा है कि जो लोग रेलवे ट्रैक पर खेड़े होकर रावण दहन देख रहे थे, वहां से नजारा काफी अच्छा दिख रहा था. लोग वहां से न सिर्फ रावण दहन का लाइव देख रहे थे, बल्कि आयोजकों ने एक एलईडी स्क्रीन भी लगाया था, जिसे ट्रैक पर खड़े लोग देख रहे थे.
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अपर्याप्त पुलिस बल की तैनाती: माना जा रहा है कि यह आयोजन काफी बड़ा था. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी थी. मगर इस हिसाब से पुलिस बल की तैनाती नहीं की गई थी. पुलिस बल अगर पर्याप्त होती तो उनकी नजर भी ट्रैक पर खड़े लोगों पर होती और वह वहां से लोगों को बटा सकती थी.
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आयोजकों का इंतजाम सही नहीं था: दरअसल, जिस जगह पर रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, उसके हिसाब से आयोजकों को काफी तैयारियां करने की जरूरत थी. आयोजकों ने भीड़ और मेरे के मद्देनजर इंतजाम सही नहीं किया था. आयोजकों ने रावण दहन देखने के लिए एलईडी स्क्रीन का भी इस्तेमाल किया था, जिसका एक भाग पटरी की तरफ था. यही वजह है कि पटरियों पर लोग खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे.
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रेलवे को आयोजन का पता नहीं: रेलवे का कहना है कि उसे इस रावण दहन कार्यक्रम के बारे में कोई सूचना नहीं मिली थी. आयोजकों ने रेलवे को इसके बारे में किसी तरह से सूचित नहीं किया था. यही वजह है कि रेलवे ने एयहतियातन कोई कदम नहीं उठाया. वहीं रेलवे का कहना है कि अंधेरे की वजह से भी ड्राइवर भीड़ का अनुमान लगाने में नाकामयाब रहा.
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पटाखों की आवाज: अमृतसर हादसे की मुख्य वजहों में से एक पटाखों की आवाज भी है. दरअसल, रावण दहन के दौरान चारों तरफ पटाखों की आवाजें गूंज रहीं थीं. यही वजह है कि जब ट्रेन आई, तो लोगों को इसका आभास नहीं हुआ और समय रहते अपने आपको पटरियों के ट्रैक से अलग नहीं कर पाए.
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अपर्याप्त पुलिस बल की तैनाती: माना जा रहा है कि यह आयोजन काफी बड़ा था. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी थी. मगर इस हिसाब से पुलिस बल की तैनाती नहीं की गई थी. पुलिस बल अगर पर्याप्त होती तो उनकी नजर भी ट्रैक पर खड़े लोगों पर होती और वह वहां से लोगों को बटा सकती थी.
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