पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Elections 2022) की तारीखें नजदीक आ गई हैं. राज्य की कुल 117 विधानसभा सीटों पर 20 फरवरी को मतदान होने हैं. इस बीच स्वर्णमंदिर के शहर अमृतसर में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इसी शहर और लोकसभा क्षेत्र के तहत एक विधानसभा सीट ऐसी भी है, जहां सबकी नजरें टिकी हुई हैं. वह हाई प्रोफाइल सीट है अमृतसर पूर्व विधानसभा. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Punjab Congress Chief Navjot Singh Sidhu) यहां से मौजूदा विधायक हैं और दोबारा इसी सीट से असेंबली चुनाव लड़ रहे हैं.
BJP को मिले थे सिर्फ 18% वोट
नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ अकाली दल ने बिक्रम सिंह मजीठिया को उतारा है. आम आदमी पार्टी ने जीवतजोत कौर और बीजेपी ने पूर्व आईएएस जमोहन सिंह राजू को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है. ऐसे में यहां मुकाबला काफी कड़ा हो गया है. सिद्धू यहां अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. 2017 में नवजोत सिंह सिद्धू ने बीजेपी के राकेश कुमार हनी को 42,809 वोटों के अंतर से हराया था. हनी को मात्र 17,668 (17.73%) वोट ही मिले थे. सिद्धू को 60 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे.आप के सरबजोत सिंह धनजाल तीसरे नंबर पर रहे थे और 14 फीसदी मत के साथ कुल 14,715 वोट ही पा सके थे.
2017 से पहले 2012 में इस सीट से नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीती थीं लेकिन 2017 के चुनाव से पहले दोनों पति-पत्नी ने पाला बदलते हुए कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. तब कांग्रेस ने इस सीट से नवजोत सिद्धू को उतारा था.
डेढ़ लाख से ज्यादा वोटर, सिख बहुलता:
इस सीट पर पिछले विधान सभा चुनाव में करीब एक लाख से ज्यादा मतादाताओं ने वोट डाले थे. वैसे इस विधानसभा क्षेत्र में डेढ़ लाख से ज्यादा वोटर हैं. ये सीट सिख बाहुल्य है. अमृतसर सीट पर सियासी मिजाज अधिकांश समय में सत्ता के खिलाफ ही रहा है. हालांकि, हाल के कुछ चुनावों में यह सत्ता से कदमताल करता दिखता है.
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ऐसा रहा है सियासी सफर:
1951 में हुए पहले विधान सभा चुनाव में इस सीट से सरूप सिंह जीते थे. 1957, 1962 और 1967 के चुनावों में तीन बार लगातार बलदेव प्रकाश की इस सीट पर जीत हुई. वह भारतीय जनसंघ से सदस्य थे. 1969 में फिर ये सीट कांग्रेस के खाते में आई. तब वहां से ज्ञान चंद खरबंदा चुनाव जीते. 1972 में भी खरबंदा ही ये सीट जीतने में कामयाब रहे
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