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This Article is From Oct 03, 2016

'अम्मा हमें आपकी जरूरत है...' अस्पताल के बाहर बैठे जयललिता के प्रशंसक हटने को तैयार नहीं

'अम्मा हमें आपकी जरूरत है...' अस्पताल के बाहर बैठे जयललिता के प्रशंसक हटने को तैयार नहीं
अस्पताल के बाहर जयललिता के कई प्रशंसक उनकी सलामती की दुआ मांग रहे हैं
चेन्नई: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता की सेहत अब बेहतर है - डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि कर दी है लेकिन अम्मा के हज़ारों प्रशंसकों का दिल तब तक नहीं मानेगा जब तक 68 साल की जयललिता ठीक ठाक घर नहीं पहुंच जाती. जिस दिन जयललिता चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती हुई थीं, उसी दिन से मोदुराम पोन्नुसामी बाहर डेरा डालकर बैठे हैं. मोदुराम का मतलब होता है उंगली की अंगूठी और यह अपने नाम पर एकदम खरे उतरते हैं क्योंकि इन्होंने अपने दोनों हाथों में दो बड़ी बड़ी अंगूठियां पहन रखी हैं जिसमें जयललिता और उनकी पार्टी (AIADMK) के संस्थापक एमजी रामचंद्रन की तस्वीर है. अगर इससे भी आप अम्मा से इनके जुड़ाव का अंदाज़ा नहीं लगा सकते तो फिर इनके गले में मौजूद नेकलेस पर गौर फरमाइए जिसमें सीएम की फोटो लगी है. यहां तक की उनके फोन की रिंग टोन भी एमजीआर की एक फिल्म का गीत है. (जयललिता और एमजीआर दोनों ही फिल्म स्टार रह चुके हैं.)

जब मोदुराम को पता चला कि अम्मा की तबियत ठीक नहीं है तो वो अपने खेत से 10 घंटे का सफर करके चैन्नई पहुंचे जहां वह अभी भी टिके हुए हैं. वह बताते हैं 'जब एमजीआर की तबियत बिगड़ी थी तब मैंने पदयात्रा की थी. मैं मंदिर, मस्जिद, चर्च सब जगह उनके लिए दुआ मांगने गया था. और अमेरिका से लौटकर उन्होंने फिर सरकार चलाई. अम्मा के साथ भी यही होगा.'

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पढ़ें - जयललिता की हालत में सुधार
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यह सच है कि तमिलनाडु में राजनीतिक हस्तियों की पूजा की जाती है, मतदाता उनकी जीत, हार, शादी ब्याह में भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस करते हैं लेकिन इन सबके बीच अम्मा के जादू की तो कोई ही तुलना नहीं की जा सकती. इसी साल 'अम्मा' ने राज्य की उस तीस साल पुरानी पंरपरा को तोड़ते हुए मुख्यमंत्री पद पर फिर कब्ज़ा जमाया जिसके मुताबिक एक ही सीएम को लगातार दूसरी बार कभी भी कुर्सी पर बैठने का मौका नहीं मिल पाया है. 37 लोकसभा सांसदों के साथ जयललिता की पार्टी संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है.
 

एमजीआर वेंकटेसन भी अपोलो अस्पताल के बाहर टकटकी लगाकर खड़े हैं. अपने नाम के आगे एमजीआर उन्होंने इसलिए लगाया है क्योंकि उन्हें लगता है कि इसी से उनकी पहचान है. वह कहते हैं 'उन्हें कुछ नहीं होगा. वह हमारी देवी है जो हमसे बात करती है. हम उन्हें देखना चाहते हैं, लेकिन हम इंतज़ार करेंगे, अभी उन्हें आराम करने देते हैं.'

गौरतलब है कि तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी विवाद चल रहा है और इसी तनातनी के बीच बेंगलुरू से भी जयललिता के प्रशंसक अपनी प्रिय नेता से मिलने आ रहे हैं. हालांकि उनकी नंबर प्लेट से साफ ज़ाहिर होता है कि वह कहां के हैं, और कहां से आ रहे हैं लेकिन फिर भी उन्हें अपनी नहीं, अम्मा की सुरक्षा की ज्यादा चिंता है. उन्हें लगता है कि कार पर अम्मा की तस्वीर लगा लेने से बात बन सकती है. कार के मालिक युवराज का कहना है कि 'सिर्फ मैडम ही हमारी सुरक्षा कर सकती हैं और कोई नेता नहीं. मैं मैडम का फोटो लगा लेता हूं और फिर कोई दिक्कत नहीं होती.'

ऐसे ही एक और सज्जन हैं जे मारीमुथ्थु जो निजी और पेशेवर दोनों तरीके से जयललिता को बहुत मानते हैं. वह एआईएडीएमके के मुख्यालय के पास स्मृति चिह्न की दुकान चलाते हैं. उनके नाम में जे का मतलब है जयललिता - वैसे आमतौर पर तमिल नामों के आगे अपने पिता के नाम का पहला अक्षर लगाने का चलन है.  नम आंखों के साथ मारीमुथ्थु कहते हैं  'अम्मा बिना किसी अनहोनी के वापस लौटेंगी. सिर्फ मेरे लिए नहीं, मुझ जैसे कइयों के लिए जो मानते हैं कि अम्मा के बिना जिंदगी...जिंदगी ही नहीं.'

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