सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, यानी कि सीएपीएफ में सेनानी और इससे नीचे के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र को एक समान बनाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती दी गई थी.
वरिष्ठ अधिवक्ता अंकुर छिब्बर ने बताया कि न्यायाधीश रोहिंटन फाली नरीमन और विनीत शरण की खंडपीठ ने इस आवेदन को खारिज कर दिया जो केंद्र सरकार द्वारा आज दर्ज होने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिसूचित था. इसी साल 31 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक सेवानिवृत्त अधिकारी देव शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया था कि गृह मंत्रालय 4 माह में यह सुनिश्चित करे कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सभी रैंकों में सेवानिवृत्ति की उम्र समान हो. अभी तक इन बलों जिनमें केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल- सीआरपीएफ, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी),सीमा सुरक्षा बल बीएसफ तथा सशस्त्र सीमा बल एसएसबी शामिल हैं. उनमें कमांडेंट से नीचे रैंक के जवान 57 साल की उम्र में रिटायर हो जाया करते हैं जबकि डीआईजी और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों की रिटायरमेंट की उम्र 60 वर्ष होती है.
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और असम राइफल्स में सभी रैंक 60 वर्ष की उम्र पूरी करके रिटायर होते हैं. अब इस मामले में गृह मंत्रालय को जल्द ही निर्णय लेना होगा. वैसे इस मामले पर गृह मंत्रालय इन बलों से कई दौर की बैठकें भी कर चुका है. इस फैसले का सीधा असर छह लाख से ज्यादा अर्धसैनिकों बलों के जवानों पर पड़ेगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं