चांदनी चौक (Chandni Chowk) से आम आदमी पार्टी (AAP) की विधायक अलका लांबा (Alka Lamba) अयोग्य घोषित हो गई हैं. विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने अलका लांबा को अयोग्य घोषित कर दिया. विधानसभा अध्यक्ष ने 'आप' विधायक सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) की याचिका पर यह फैसला दिया. विधानसभा से अयोग्य घोषित होने के बाद अलका लांबा ने ट्वीट (Alka Lamba Tweet) कर आम आदमी पार्टी को फटकार लगाने के साथ-साथ 'आप' के कार्यकर्ताओं का आभार भी जताया. बता दें कि अलका लांबा ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी.
#आप के साथ मेरा सफ़र आज यहीं समाप्त हुआ,
— Alka Lamba - अलका लाम्बा (@LambaAlka) September 19, 2019
धन्यवाद करती हूँ आप के उन सभी कार्यकर्ताओं का जिनके सहयोग से मैं पार्टी के भीतर खत्म होते लोकतंत्र और एक आदमी की तानाशाही के ख़िलाफ़ लड़ पाई,
आगे की लड़ाई अब जनता के बीच रहकर लड़ी और जीती जायेगी.
सत्ता का घमंड अब अधिक दिन तक नहीं रहेगा. pic.twitter.com/8OoU378XP3
अलका लांबा ने ट्वीट किया, #आप के साथ मेरा सफ़र आज यहीं समाप्त हुआ. धन्यवाद करती हूं 'आप' के उन सभी कार्यकर्ताओं का जिनके सहयोग से मैं पार्टी के भीतर खत्म होते लोकतंत्र और एक आदमी की तानाशाही के ख़िलाफ़ लड़ पाई. आगे की लड़ाई अब जनता के बीच रहकर लड़ी और जीती जायेगी. सत्ता का घमंड अब अधिक दिन तक नहीं रहेगा.'
Delhi Assembly Speaker Ram Niwas Goel disqualifies Alka Lamba from the legislative assembly on the grounds of defection. Chandni Chowk Assembly Constituency seat falls vacant. (file pic) pic.twitter.com/cvWUka2y3q
— ANI (@ANI) September 19, 2019
बता दें कि अलका लांबा पिछले कुछ समय से आप नेतृत्व खासकर पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली से नाराज़ चल रही थीं. केजरीवाल पर पार्टी में मनमानी करने का आरोप लगते हुए उन्होंने कहा कि वह इसका सार्वजनिक तौर पर कई बार मुखर विरोध कर चुकी हैं. अलका लांबा और आप के बीच पिछले कुछ समय से टकराव की स्थिति जो शुरू हुई, वह किसी न किसी रूप में चलती रही है. लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने केजरीवाल से उनकी जवाबदेही का हवाला देते हुए कहा था कि पार्टी संयोजक होने के नाते उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिये. इसके बाद लांबा को आप नेतृत्व ने पार्टी विधायकों के आधिकारिक व्हाट्सऐप ग्रुप से हटा दिया था.
उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया था और उन्होंने केजरीवाल के रोडशो के दौरान मुख्यमंत्री की कार के पीछे चलने के लिए कहे जाने के बाद रोडशो में भाग नहीं लिया था. लांबा और आप के बीच सबसे पहले टकराव दिल्ली विधानसभा में उस समय उत्पन्न हुआ जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न सम्मान वापस लिए जाने संबंधी आप विधायकों के प्रस्ताव का उन्होंने विरोध किया था. उन्होंने दिसंबर 2018 में ट्वीट किया था कि आप नेतृत्व ने उन्हें इस प्रस्ताव का समर्थन करने को कहा. उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया. लांबा ने कहा था कि वह इसके लिए किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू किया था.
VIDEO: अलका लांबा निर्दलीय लड़ेंगी अगला चुनाव
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