भारत में वायु प्रदूषण के कारण 2017 में 12 लाख लोगों की मौत हुई. यह आंकड़ा बुधवार को जारी एक वैश्विक शोध में प्रकाश में आया है.शोध-रिपोर्ट 'स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2019' के अनुसार, वर्तमान में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण दक्षिण एशिया में बच्चों की औसत जीवन प्रत्याशा में ढाई साल की कमी आएगी, जबकि वैश्विक जीवन प्रत्याशा में 20 महीने की कमी आएगी. देश में इतनी भारी संख्या में मौतें होने से पता चलता है कि सरकार की ओर से उठाए गए कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं.
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शोध में हालांकि यह कहा गया है कि भारत ने प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, भारत चरण-4 स्वच्छ वाहन मानक और नए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम जैसे बड़े कदम उठाए हैं. हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष रॉबर्ट ओकीफे ने एक बयान में आईएएनएस को बताया, "इन कदमों और भावी पहलों को वायु की गुणवत्ता की प्रतिबद्धता के तहत पूरी तरह लागू किया जाए तो इसमें आने वाले वर्षो में स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण फायदे मिलने की संभावना है."
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संबंधी सभी खतरों से होने वाली मौतों में तीसरा सबसे बड़ा कारण है.रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण से जितने लोगों की मौत होती है, उसकी आधी संख्या भारत और चीन में है.भारत और चीन में 2017 में वायु प्रदूषण से क्रमश: 12-12 लाख लोगों की मौत हुई. (इनपुट-IANS)
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