
जीवन के कुछ लमहे ऐसे होते हैं, जब इंसान खुश हो रहा होता है, मगर आंखों में आंसू भरे होते हैं. ऐसे लमहे हर कोई पाना चाहता है. मगर ये आंसू कभी-कभी ही आते हैं. वजह ये ऐसे पल होते हैं, जिसका किसी इंसान को लंबे समय से इंतजार होता है. उसके पीछे जी-तोड़ मेहनत होती है. जगे हुए वर्षों से देखे गए सपनों के पूरा होने पर होता है. ये बातें हम क्यों कर रहे हैं... कहते हैं एक तस्वीर हजारों-लाखों शब्दों से ज्यादा असर करती है. ऐसी ही तस्वीरें अग्निवीर पासिंग आउट परेड में दिखीं.

पटना में अग्निवीर पासिंग आउट परेड हुआ तो अग्निवीरों के माता-पिता भी पहुंचे. एक तस्वीर में एक अग्निवीर अपनी मां को गले से लगाए हुए हैं और मां-बेटा दोनों की आंखों में आंसू हैं. इस तस्वीर को बगैर किसी कैप्शन के भी देख कोई भी आसानी से समझ जाएगा कि ये दुख के आंसू नहीं हैं. ये खुशी के आंसू हैं. ये सपने पूरे होने के आंसू हैं. ये वर्षों की मेहनत का फल मिलने के आंसू हैं.

इसी तरह एक अग्निवीर अपनी मां को अपनी टोपी पहनाकर सम्मान दे रहे हैं. शायद एक मां को अपने बेटे से इससे ज्यादा की अपेक्षा भी नहीं रहती. वो मां बनने के बाद से ही अपने बच्चों को लेकर बगैर किसी स्वार्थ अपना हर सुख न्यौछावर करती रहती है. बच्चे की एक मुस्कान के लिए मां को न गर्मी लगती है और न ठंड. बीमार होकर अस्पताल में बेड पर लेटी मां भी अपने बच्चे को सामने खड़ा देख सोचती है कि उसे बिठा दे. उसे चिंता रहती है कि उसके बच्चे ने खाना खाया होगा या नहीं. इस ममता का मोल चुकाना तो किसी के वश में नहीं, लेकिन सम्मान देकर इस अग्निवीर ने अपनी मां के दिल को जो ठंढक पहुंचाई, वो पल शायद सभी को अपने जीवन में नसीब नहीं होता.

इसी तरह एक तस्वीर में एक मां अपने अग्निवीर बेटे को जोर से गले से चिपकाए हुए हैं, और अग्निवीर मां के इस लाड को देख आत्मा से मुस्कुरा रहे हैं. ऐसी मुस्कुराहट किसी इंसान के चेहरे पर करोड़ों-अरबों रुपये पाने के बाद भी शायद न आए. यही मां और बच्चों का रिश्ता होता है. मां का एहसास, उनका छूना, उनको महसूस करना, उनसे बातें करना, इसका कोई मोल नहीं. बेटा अग्निवीर बना तो उससे ज्यादा मां को खुशी हुई, जैसे उन्होंने जीवन में वो सब पा लिया, जो उन्होंने सोचा था.

यहीं हाल कश्मीर में भी दिखा. यहां एक मां अपने बेटे को चूमती नजर आईं. इस तस्वीर में जैसे मां अपने बेटे की सारी बलाएं दूर भगा रहीं हों. बेटे को लाखों आशीर्वाद दे रहीं हों. मां का रोम-रोम अपने बेटे की सफलता पर पुलकित है. अग्निवीर बेटा मां के इस दुलार के समय एक मासूम बच्चे की तरह दिख रहा है. वो बेटा जो अग्निवीर बन चुका है. जिसे हथियारों से लेकर गोला-बारूद चलाने की ट्रेनिंग मिल चुकी है, वो अपनी मां की बांहों में एक मासूम बच्चे की तरह प्यार से सराबोर है.
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