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This Article is From Sep 18, 2015

महिला सशक्तिकरण में जुटीं महिला पत्रकारों को मनचले ने किया कई माह परेशान

महिला सशक्तिकरण में जुटीं महिला पत्रकारों को मनचले ने किया कई माह परेशान
बुंदेलखंड की पत्रकार मीरा।
लखनऊ: उत्तरप्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए अखबार निकाल रहीं लड़कियों को एक मनचले ने परेशान करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी और पुलिस और प्रशासन शिकायतों के बावजूद आंख-कान बंद करके बैठा रहा। बात जब मुख्यमंत्री की जानकारी में आई तो तुरंत कार्रवाई हुई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।  

बुंदेलखंड में महिलाओं के लिए महिलाएं निकाल रहीं अखबार
यूपी का 'खबर लहरिया' अखबार एक अनूठा प्रयोग है। यह अखबार सिर्फ महिलाएं निकालती हैं और वह गांवों पर फोकस रखती हैं। मगर इस अखबार को निकालने वाली महिलाओं को जिस तरह तंग किया गया, वह हैरान करने वाला है। समाज को जागृत करने के लिए लड़ रहीं इन लड़कियों को अपने लिए भी व्यवस्था से लड़ना पड़ रहा है, जो कि उनके खिलाफ है।

बुंदेलखंड से निकलने वाले अखबार खबर लहरिया की महिला पत्रकारों ने गुरुवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना दुखड़ा सुनाया और गुस्सा भी जताया। पत्रकार मीरा ने बताया कि निशू नाम का एक शख्स उन्हें तीन महीने से फोन पर बुरी तरह परेशान करता रहा। इसी साल जनवरी में निशू का फोन आया। इसके बाद फोन पर परेशान करने का सिलसिला तीन माह तक चला। वह बार-बार फोन करके एक ही रट लगाए रहता कि उससे बात करो।

मीरा ने बताया कि निशू ने उसकी अखबार की टीम की पांच सदस्यों का जीना हराम कर दिया। वह किसी भी समय फोन करता था। उसकी इन हरकतों के कारण काम करना मुश्किल हो गया। एक तरफ वह परेशान कर रहा था और दूसरी तरफ संचार कंपनी वोडाफोन ने भी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद चित्रकूट में पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई, लेकिन इसके बाद भी निशू पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्रवाई
मीरा ने बताया कि दो-तीन दिन पहले उन्होंने एक वेबसाइट पर अपनी परेशानी की खबर अपलोड की। मुख्यमंत्री को यह खबर मिली तो उन्होंने प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश दिए। तब जाकर प्रशासन जागा और बुधवार को निशू को गिरफ्तार कर लिया गया।  मीरा का कहना है कि यह सिर्फ हमारा मुद्दा नहीं है। पत्रकारों को इस तरह की परेशानी होती है। महिला पत्रकारों को सभी जगह असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। जरूरत के मुताबिक सुरक्षा भी प्रदान नहीं की जाती। पुलिस और प्रशासन बात सुनने को तैयार नहीं होता।   

हैरान करने वाली बात यह है कि इस मामले में पुलिस का रवैया भी बेहद मर्दवादी था। उनकी दिलचस्पी ब्योरों में थी, कार्रवाई करने में नहीं। दोषी के खिलाफ कार्रवाई तब मुमकिन हुई, जब उन्होंने एक वेबसाइट पर अपनी तकलीफ लिखी और फिर मुख्यमंत्री ने खबर देखी।

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