राजेश (बाएं) और नुपूर तलवार की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
अपनी बेटी आरुषि तलवार की हत्या के मामले में सजा काट रहीं नूपुर तलवार को अपनी बीमार मां को देखने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते के पेरोल पर जेल से बाहर आने की इजाजत दे दी है.
नूपुर ने अपनी याचिका में अदालत से परोल का अनुरोध करते हुए कहा था कि उनकी मां गंभीर रूप से बीमार हैं और उनके सभी भाई-बहन देश से बाहर हैं. अदालत ने उन्हें परोल पर रिहा करने का आदेश दिया ताकि वह अपने भाई-बहनों के स्वदेश लौटने तक अपनी बीमार मां की देखभाल कर सकें.
यूपी की अदालत ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार को अपनी 14-वर्षीय बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या के दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. दोनों साल 2013 से जेल में हैं.
पेशे से डेंटिस्ट राजेश और नूपुर ने अपनी सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अर्जी दे रखी है. दोनों का कहना है कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है. देश के सबसे चर्चित हत्याकांडों में से एक आरुषि केस पर पिछले साल 'तलवार' नाम से एक फिल्म भी बनी थी.
दोहरी हत्या का यह मामला 15 मई 2008 का है, जब नोएडा के जलवायु विहार निवासी राजेश एवं नूपुर तलवार के घर में उनकी 14 वर्षीया बेटी आरुषि और उनके नौकर हेमराज बंजारे को मृत पाया गया था.
तलवार दंपति पर हत्या (धारा 302) और सबूतों को मिटाने (धारा 201) का आरोप लगा. राजेश पर नोएडा पुलिस में नकली प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 203 के तहत अतिरिक्त मामला दर्ज किया गया था.
इस मामले की जांच पहले उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही थी, लेकिन घटना के 15 दिन बाद 31 मई 2008 को यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया.
तलवार दंपति के खिलाफ 25 मई 2012 को मामला दर्ज किया गया था और इसके बाद सुनवाई शुरू हुई थी. दोनों के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं होने की वजह से सीबीआई की तहकीकात परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित थी.
किसी अन्य के इसमें शामिल होने के सबूत न मिलने पर आखिरकार सीबीआई ने तलवार दंपति को हत्यारा माना. सीबीआई के अनुसार, घटना की रात मकान संख्या एल-32 में सिर्फ चार लोग ही मौजूद थे, जिनमें से दो की हत्या हो गई.
नूपुर ने अपनी याचिका में अदालत से परोल का अनुरोध करते हुए कहा था कि उनकी मां गंभीर रूप से बीमार हैं और उनके सभी भाई-बहन देश से बाहर हैं. अदालत ने उन्हें परोल पर रिहा करने का आदेश दिया ताकि वह अपने भाई-बहनों के स्वदेश लौटने तक अपनी बीमार मां की देखभाल कर सकें.
यूपी की अदालत ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार को अपनी 14-वर्षीय बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या के दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. दोनों साल 2013 से जेल में हैं.
पेशे से डेंटिस्ट राजेश और नूपुर ने अपनी सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अर्जी दे रखी है. दोनों का कहना है कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है. देश के सबसे चर्चित हत्याकांडों में से एक आरुषि केस पर पिछले साल 'तलवार' नाम से एक फिल्म भी बनी थी.
दोहरी हत्या का यह मामला 15 मई 2008 का है, जब नोएडा के जलवायु विहार निवासी राजेश एवं नूपुर तलवार के घर में उनकी 14 वर्षीया बेटी आरुषि और उनके नौकर हेमराज बंजारे को मृत पाया गया था.
तलवार दंपति पर हत्या (धारा 302) और सबूतों को मिटाने (धारा 201) का आरोप लगा. राजेश पर नोएडा पुलिस में नकली प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 203 के तहत अतिरिक्त मामला दर्ज किया गया था.
इस मामले की जांच पहले उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही थी, लेकिन घटना के 15 दिन बाद 31 मई 2008 को यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया.
तलवार दंपति के खिलाफ 25 मई 2012 को मामला दर्ज किया गया था और इसके बाद सुनवाई शुरू हुई थी. दोनों के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं होने की वजह से सीबीआई की तहकीकात परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित थी.
किसी अन्य के इसमें शामिल होने के सबूत न मिलने पर आखिरकार सीबीआई ने तलवार दंपति को हत्यारा माना. सीबीआई के अनुसार, घटना की रात मकान संख्या एल-32 में सिर्फ चार लोग ही मौजूद थे, जिनमें से दो की हत्या हो गई.
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