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This Article is From Dec 07, 2016

राजनीति छोड़ किताबों-संगीत के साथ 'दुनिया के पागलपन' से दूर रहना था 'अम्मा' का सपना...

राजनीति छोड़ किताबों-संगीत के साथ 'दुनिया के पागलपन' से दूर रहना था 'अम्मा' का सपना...
नई दिल्ली: वर्ष 1999 में NDTV को दिए एक इंटरव्यू में 'अम्मा' के नाम से पुकारी जाने वाली जयललिता ने राजनीति छोड़कर अपने फार्महाउस पर किताबों, संगीत और पालतू पशुओं के साथ रह पाने को अपना पसंदीदा सपना बताया था... केंद्र में सत्तासीन अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार में सहयोगी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) की महासचिव और देश की सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार की जाने वाली जयललिता का कहना था कि वह ऐसे दिन का ख्वाब देखती हैं, जब उन्हें लोगों से नहीं मिलना पड़ेगा, टेलीफोन कॉल नहीं सुनने पड़ेंगे, भाषण नहीं देने पड़ेंगे, और वह 'चूहादौड़' और 'दुनिया के पागलपन' से दूर सुकून से रह सकें...

आइए, पढ़ते हैं, उस पुराने इंटरव्यू के मुख्य अंश...

आपके भीतर इतनी ताकत कहां से आती है...?
मेरे ही भीतर से... वास्तव में मुझे नहीं मालूम, यह ताकत कहां से आती है, लेकिन मेरा मानना है कि ईश्वर के प्रति मेरा विश्वास इस ताकत के पीछे है...

आपका पूरा जीवन संघर्षमय रहा है, सो, क्या यह ताकत आपकी मां या परिवार से मिलती है...?
ऐसा नहीं है... मेरे परिवार में कभी कोई राजनीति में नहीं रहा, सो, मुझे पता ही नहीं था कि मुझे ऐसी ज़िन्दगी जीनी होगी... पता होता, तो शायद मैं भाग गई होती... मैं फिल्मों का हिस्सा अपनी मां के प्रभाव की वजह से बनी... और राजनीति में प्रवेश की एकमात्र वजह मेरे राजनैतिक गुरु एमजी रामचंद्रन रहे... अगर मुझ पर छोड़ा गया होता, तो शायद मैंने इन दोनों में से किसी भी करियर को नहीं चुना होता...

आपको बीजेपी सरकार (केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार) को अस्थिर करने की वजह माना जाता है... क्या इससे आपकी छवि धूमिल हुई है...?
ऐसा कतई नहीं है, क्योंकि यह हरगिज़ सच नहीं है... मैंने किसी भी तरह से अस्थिरता में कोई योगदान नहीं दिया... मैं सिर्फ तमिलनाडु के कल्याण के मुद्दों को उठाने के मामले में स्पष्ट रही हूं, और हर बार ऐसी ज़रूरत पड़ने पर डटी रही हूं... मैं हर बार आवाज़ उठाती रही हूं, झिझकती नहीं हूं... और सिर्फ राज्य से जुड़े मुद्दे ही नहीं, मैंने महिला आरक्षण बिल, सीटीबीटी पर दस्तखत जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपने विचार स्पष्टता के साथ रखे हैं... जब भी मुझे लगा, केंद्र सरकार कुछ गलत कर रही है, मैं कभी आलोचना करने से झिझकी नहीं हूं... मेरी मजबूती को अक्सर गलत समझा जाता है...

आप बीजेपी के प्रति पिछले कुछ समय से नर्म रुख अपना रही हैं, उसके पीछे क्या वजह है...?
हालिया समय में बीजेपी के प्रति नर्म रुख अपनाने के पीछे एकमात्र वजह यही है कि मैं नहीं चाहती कि देश यह सोचने के लिए विवश हो जाए कि गठबंधन सरकारें कभी ठीक से काम नहीं कर सकतीं...

पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने को लेकर शिवसेना के रुख पर आप क्या कहना चाहेंगी...?
शिवसेना का रुख कतई 'विवेकशून्य' है, और केंद्र सरकार को ऐसा हरगिज़ नहीं होने देना चाहिए...

क्या आप कभी राजनीति छोड़ देने के बारे में सोचती हैं...?
अक्सर... यह मेरा सपना है... उसके बाद मैं अपने फार्म पर ज़िन्दगी बिताऊंगी... लोगों से नहीं मिलना पड़ेगा... टेलीफोन कॉल नहीं सुनने पड़ेंगे... भाषण नहीं देने पड़ेंगे... मैं किताबों, संगीत और मेरे पालतू पशुओं के बीच खुश रहूंगी... मुझे खेती पसंद है... यही मेरा सपना है कि मैं 'चूहादौड़' और 'दुनिया के पागलपन' से दूर सुकून से रहूं...

देखिए, पूरा इंटरव्यू (क्षमा करें, इंटरव्यू अंग्रेज़ी भाषा में है...)

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