फाइल फोटो
नई दिल्ली:
देश में बने (मेड इन इंडिया) सैन्य साजो-सामान की खरीद पर सरकार 67,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने सोमवार को 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमानों, 15 हल्के युद्धक हेलीकॉप्टरों और 464 टी-90 टैंकों की खरीद को मंजूरी दे दी.
तेजस का निर्माण करने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पास पहले से ही 40 विमानों के ऑर्डर हैं जो इसी साल से वायुसेना को मिलने शुरू हो चुके हैं. तेजस विमानों के नए ऑर्डर पर सरकार के 50,025 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
सेना और वायुसेना दोनों के लिए खरीदे जाने वाले हेलिकॉप्टरों पर 2911 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. जबकि टी-90 टैंकों की खरीद ऑर्डिनेंस फैक्टरी से जाएगी और इनपर 13,448 करोड़ का खर्च आएगा. रक्षा खरीद परिषद ने भारतीय सेना के लिए 598 छोटे ड्रोन की खरीद पर भी हस्ताक्षर कर दिए हैं.
भारतीय वायुसेना ने इसी वर्ष जुलाई में तमिलनाडु के सुलुर में दो तेजस विमानों के साथ इसकी एक स्क्वाड्रन तैयार की है. वैसे एक स्क्वाड्रन में 14 से 16 विमान होते हैं.
कई खामियों के बावजूद साल 2015 में वायुसेना ने तेजस विमानों को अपने बेड़े में शामिल करने पर सहमति जताई थी ताकि तेजस कार्यक्रम जारी रह सके और वायुसेना में लगातार घटते विमानों की समस्या से भी निपटा जा सके.
फिलहाल तेजस को प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) ही मिली है और अब भी इसे अंतिम परिचालन मंजूरी का इंतजार है. अंतिम परिचालन मंजूरी का मतलब है कि विमान तैनाती के लिए पूरी तरह तैयार है. सूत्रों ने NDTV को बताया कि अंतिम परिचालन मंजूरी कभी भी मिल सकती है. सूत्रों ने कहा कि तुच्छ मुद्दों को अब सुलझा लेने की जरूरत है.
सूत्र ने बताया, 'फिलहाल वायुसेना पायलटों को प्रशिक्षण देना और शामिल करना शुरू करेगी. साथ ही स्क्वाड्रन में शामिल होने वाले परीक्षण पायलटों को एचएएल के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि छोटे मुद्दे सुलझाए जा सकें.'
विमानों की पर्याप्त संख्या बनाए रखने के लिए वायुसेना ने 80 तेजस लड़ाकू विमानों का ऑर्डर और दिया है जिससे कुल मिलकार इनकी संख्या 120 हो जाएगी. इन विमानों की आपूर्ति एचएएल की उत्पादन क्षमता पर निर्भर करेगी.
एचएएल द्वारा बनाए जाने वाले 20 विमानों के पहले बेड़े में हवा में ईंधन भरने की क्षमता नहीं होगी जोकि किसी भी अभियान के समय जरूरी है.
एक अधिकारी ने बताया कि अगले 20 विमानों को बेहतर रडार और विजुअल रेंज से भी आगे मिसाइल दागने की क्षमता से भी लैस किया जाएगा. भारत इन विमानों में इस्रायली रडार का प्रयोग करना चाहता है.
रक्षा मंत्रालय और एचएएल तेजस विमानों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया में हैं. योजना है कि कम से कम वर्ष में 8 विमानों का उत्पादन जरूर किया जाए जिसे बढ़ा कर 16 विमान यानी एक स्कवाड्रन प्रति वर्ष किया जाएगा.
तेजस का निर्माण करने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पास पहले से ही 40 विमानों के ऑर्डर हैं जो इसी साल से वायुसेना को मिलने शुरू हो चुके हैं. तेजस विमानों के नए ऑर्डर पर सरकार के 50,025 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
सेना और वायुसेना दोनों के लिए खरीदे जाने वाले हेलिकॉप्टरों पर 2911 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. जबकि टी-90 टैंकों की खरीद ऑर्डिनेंस फैक्टरी से जाएगी और इनपर 13,448 करोड़ का खर्च आएगा. रक्षा खरीद परिषद ने भारतीय सेना के लिए 598 छोटे ड्रोन की खरीद पर भी हस्ताक्षर कर दिए हैं.
भारतीय वायुसेना ने इसी वर्ष जुलाई में तमिलनाडु के सुलुर में दो तेजस विमानों के साथ इसकी एक स्क्वाड्रन तैयार की है. वैसे एक स्क्वाड्रन में 14 से 16 विमान होते हैं.
कई खामियों के बावजूद साल 2015 में वायुसेना ने तेजस विमानों को अपने बेड़े में शामिल करने पर सहमति जताई थी ताकि तेजस कार्यक्रम जारी रह सके और वायुसेना में लगातार घटते विमानों की समस्या से भी निपटा जा सके.
फिलहाल तेजस को प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) ही मिली है और अब भी इसे अंतिम परिचालन मंजूरी का इंतजार है. अंतिम परिचालन मंजूरी का मतलब है कि विमान तैनाती के लिए पूरी तरह तैयार है. सूत्रों ने NDTV को बताया कि अंतिम परिचालन मंजूरी कभी भी मिल सकती है. सूत्रों ने कहा कि तुच्छ मुद्दों को अब सुलझा लेने की जरूरत है.
सूत्र ने बताया, 'फिलहाल वायुसेना पायलटों को प्रशिक्षण देना और शामिल करना शुरू करेगी. साथ ही स्क्वाड्रन में शामिल होने वाले परीक्षण पायलटों को एचएएल के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि छोटे मुद्दे सुलझाए जा सकें.'
विमानों की पर्याप्त संख्या बनाए रखने के लिए वायुसेना ने 80 तेजस लड़ाकू विमानों का ऑर्डर और दिया है जिससे कुल मिलकार इनकी संख्या 120 हो जाएगी. इन विमानों की आपूर्ति एचएएल की उत्पादन क्षमता पर निर्भर करेगी.
एचएएल द्वारा बनाए जाने वाले 20 विमानों के पहले बेड़े में हवा में ईंधन भरने की क्षमता नहीं होगी जोकि किसी भी अभियान के समय जरूरी है.
एक अधिकारी ने बताया कि अगले 20 विमानों को बेहतर रडार और विजुअल रेंज से भी आगे मिसाइल दागने की क्षमता से भी लैस किया जाएगा. भारत इन विमानों में इस्रायली रडार का प्रयोग करना चाहता है.
रक्षा मंत्रालय और एचएएल तेजस विमानों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया में हैं. योजना है कि कम से कम वर्ष में 8 विमानों का उत्पादन जरूर किया जाए जिसे बढ़ा कर 16 विमान यानी एक स्कवाड्रन प्रति वर्ष किया जाएगा.
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