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This Article is From Apr 16, 2024

700 कैदियों को होटल उद्योग में नौकरी मिली, 1200 अन्य को जल्द रोजगार मिलेगा: तिहाड़ जेल प्रमुख

बेनीवाल ने कहा कि कैदियों को कौशल प्रदान करना और सशक्त बनाना एक ऐसी चीज है जो उन्हें योग्य बनाती है. उन्होंने कहा, 'जब उन्हें (कैदियों) बाहर काम करने के लिए प्रमाणपत्र और प्रस्ताव पत्र मिले तो मैंने उनकी आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान देखी.'

700 कैदियों को होटल उद्योग में नौकरी मिली, 1200 अन्य को जल्द रोजगार मिलेगा: तिहाड़ जेल प्रमुख
नई दिल्ली :

तिहाड़ जेल (Tihar Jail) के महानिदेशक संजय बेनीवाल (Sanjay Beniwal) ने कहा कि लगभग 700 कैदियों को होटल उद्योग में नौकरी मिली है और 1200 से अधिक बंदी जेल से बाहर आने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. पीटीआई मुख्यालय में सोमवार को एजेंसी के संपादकों के साथ बातचीत में 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी बेनीवाल ने कहा कि वह उन कैदियों को देखकर खुश होते हैं, जिन्हें जेल की सजा काटने के बाद नौकरी मिलती है. चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक रह चुके बेनीवाल नवंबर 2022 से तिहाड़ जेल के महानिदेशक के रूप में तैनात हैं।

तिहाड़ में अपने कार्यकाल में जेल सुधारों पर एक सवाल का जवाब देते हुए, बेनीवाल ने कहा, 'हमने जेलों के अंदर शहरी विकास मंत्रालय की मदद से कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया है. इस कार्यक्रम के तहत, लगभग 700 कैदियों को होटल उद्योग में नौकरी मिली है और 1,200 कैदी अस्पतालों में नौकरी पाने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं.'

जेल अधिकारियों के अनुसार, विचाराधीन कैदियों को प्रशिक्षण देने के लिए जेलों के अंदर एक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया गया है और यह कार्यक्रम 2023 की शुरुआत में शुरू किया गया था. 

अधिक जेल बनान कोई समाधान नहीं : बेनीवाल 

बेनीवाल ने कहा कि कैदियों को कौशल प्रदान करना और सशक्त बनाना एक ऐसी चीज है जो उन्हें योग्य बनाती है. उन्होंने कहा, 'जब उन्हें (कैदियों) बाहर काम करने के लिए प्रमाणपत्र और प्रस्ताव पत्र मिले तो मैंने उनकी आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान देखी.'

तिहाड़ जेल में क्षमता से अधिक कैदी होने से संबंधित सवाल के जवाब में बेनीवाल ने कहा कि अधिक जेल बनाना कोई समाधान नहीं है. 

दंडित करने के बेहतर विकल्‍पों की हो तलाश : बेनीवाल 

तिहाड़ में 10,000 की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले 20,000 कैदी हैं. दिल्ली में तीन जेल परिसर- तिहाड़, रोहिणी और मंडोली हैं तथा इन सभी में केंद्रीय जेल हैं. उन्होंने कहा कि अन्य विकल्पों या दंडित करने के बेहतर तरीकों की तलाश की जा सकती है. 

बेनीवाल ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि हाल में एक युवक को जेबतराशी में 300 रुपये चुराने के आरोप में पकड़ा गया और उसे तिहाड़ लाया गया. उन्होंने कहा कि जमानत मिलने से पहले वह पांच महीने तक जेल में रहा.

उन्होंने कहा, 'मैं प्रति कैदी प्रति दिन 800 रुपये खर्च कर रहा हूं, जिसकी कीमत हमें प्रति माह लगभग 24,000 रुपये पड़ती है. उस 300 रुपये की चोरी की सजा के लिए मैंने आपका पैसा (राजकोष) खर्च किया, जिसकी लागत पांच महीनों में लगभग 1,20,000 रुपये पड़ती है. क्या यह सही है? यही सवाल हमें पूछने की जरूरत है.'

तिहाड़ जेल के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि दिल्ली के नरेला में प्रस्तावित जेल में 250 कैदियों के लिए लगभग 170 करोड़ रुपये खर्च होंगे जो एक महंगा सौदा है.

उन्होंने कहा कि जेल का मौजूदा मॉडल प्रावधान अधिनियम फर्लो पर रिहा होने वाले कैदियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पैर में उपकरण लगाने की शक्ति प्रदान करता है.

विदेशी देशों की तरह जेलों के निजीकरण पर बेनीवाल ने कहा कि निजीकरण के बावजूद अमेरिकी जेलों में काफी भीड़ है.

उन्होंने कहा, 'अमेरिका में प्रति लाख लोगों पर गिरफ्तारी की संख्या भारत से कहीं अधिक है. जेल का निजीकरण करना देश की स्थिति और वहां इसका संचालन कैसे किया जाता है, इस पर निर्भर करता है.'

कैदियों के लिए आध्यात्मिक पाठ्यक्रम, ध्यान और लक्षित कार्यक्रम

जेल में सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के बारे में बेनीवाल ने कहा, ‘‘हम कैदियों के लिए आध्यात्मिक पाठ्यक्रम, ध्यान और लक्षित कार्यक्रम आयोजित करते हैं. मेरे पास ऐसे कई उदाहरण हैं जहां वे अपनी गलतियों के बारे में लिखते हैं और कहते हैं कि जब भी जेल से बाहर जाएंगे तो वे कभी कोई अपराध नहीं करेंगे.''

उन्होंने कहा कि वह एक ऐसा देखभाल केंद्र शुरू करने की योजना बना रहे हैं जहां ‘‘हम उनके (कैदियों) बाहर आने के बाद उनकी देखभाल करेंगे.'

बेनीवाल ने कहा कि कैदी जेलों के अंदर हर त्योहार मनाते हैं और राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेते हैं ताकि वे वास्तविकता से दूर न जा सकें.

उन्होंने कहा, 'हम यथासंभव उनके जीवन को सामान्य बनाने की कोशिश करते हैं. कई लोगों से कोई मिलने नहीं आता क्योंकि उनके परिवार के सदस्य दूर रहते हैं. हमारे पास 'स्पर्श योजना' नामक एक सुविधा है जहां हम उन्हें गले लगाते हैं और विभिन्न अवसरों पर उपहार देते हैं.'

बेनीवाल ने कहा कि वह कैदियों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनते हैं और उनका समाधान करने का प्रयास भी करते हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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