अस्पतालों में मरीजों को छोड़ निजी प्रैक्टिस करने वाले 7 डॉक्टर निलंबित (प्रतीकात्मक चित्र)
शिमला:
हिमाचल सरकार ने प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत सात डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने पर निलम्बित कर दिया है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने बताया कि ये डॉक्टर अस्पतालों में अपनी ड्यूटी से जानबूझ कर अनुपस्थित थे और निजी प्रैक्टिस में शामिल थे.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ये डॉक्टर ठीक से अपने कर्तव्यों का पालन व मरीजों की ठीक प्रकार से उपचार नहीं कर रहे थे. इसके अलावा, वे निजी प्रैक्टिस में शामिल थे. उन्होंने कहा कि इन डॉक्टरों के खिलाफ एक जांच कमेटी बिठाई गई थी, जिसने राज्य सरकार को इन डॉक्टरों की अनुपस्थिति की रिपोर्ट सौंपी थी, जिस कारण इस प्रकार सेवाओं में नियमों का उल्लंघन करने पर इन्हें निलम्बित किया गया है.
ठाकुर ने कहा कि निलम्बित किए गए डॉक्टरों को मुख्यालय स्वास्थ्य निदेशालय, शिमला से जोड़ा गया है और सभी चिकित्सक सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे. मंत्री ने कहा कि कुछ और डॉक्टरों पर भी प्रदेश सरकार की नजर है.
स्वास्थ्य मंत्री ने चिकित्सा अधिकारियों को जेनरिक दवाओं को अनिवार्य रूप से लिखने के लिए कहा ताकि सरकार द्वारा गरीब लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा आसानी से उपलब्ध हो सके. उन्होंने चिकित्सकों से अपील की कि इस महान व्यवसाय का उद्देश्य मानवता की सेवा है तथा इसे एक मिशन के रूप में अपनाएं, क्योंकि लोगों का डॉक्टरों पर विश्वास है और वे उन्हें भगवान के रूप में मानते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ये डॉक्टर ठीक से अपने कर्तव्यों का पालन व मरीजों की ठीक प्रकार से उपचार नहीं कर रहे थे. इसके अलावा, वे निजी प्रैक्टिस में शामिल थे. उन्होंने कहा कि इन डॉक्टरों के खिलाफ एक जांच कमेटी बिठाई गई थी, जिसने राज्य सरकार को इन डॉक्टरों की अनुपस्थिति की रिपोर्ट सौंपी थी, जिस कारण इस प्रकार सेवाओं में नियमों का उल्लंघन करने पर इन्हें निलम्बित किया गया है.
ठाकुर ने कहा कि निलम्बित किए गए डॉक्टरों को मुख्यालय स्वास्थ्य निदेशालय, शिमला से जोड़ा गया है और सभी चिकित्सक सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे. मंत्री ने कहा कि कुछ और डॉक्टरों पर भी प्रदेश सरकार की नजर है.
स्वास्थ्य मंत्री ने चिकित्सा अधिकारियों को जेनरिक दवाओं को अनिवार्य रूप से लिखने के लिए कहा ताकि सरकार द्वारा गरीब लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा आसानी से उपलब्ध हो सके. उन्होंने चिकित्सकों से अपील की कि इस महान व्यवसाय का उद्देश्य मानवता की सेवा है तथा इसे एक मिशन के रूप में अपनाएं, क्योंकि लोगों का डॉक्टरों पर विश्वास है और वे उन्हें भगवान के रूप में मानते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं