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दिल्ली में निकाय चुनावों के लिए रविवार को सम्पन्न हुए शांतिपूर्ण मतदान में 55 से 60 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।
राज्य निर्वाचन आयुक्त राकेश मेहता ने बताया, "अनुमान है कि राज्य में 55 से 60 फीसदी लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया। मतदान का सही आंकड़ा सोमवार सुबह तक ही उपलब्ध हो पाएगा।"
दिल्ली नगर निगम के तीन निगमों में विभाजन के बाद पहली बार यह मतदान हुआ। कुछ स्थानों पर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में खराबी की वजह से मतदान देर से शुरू हो पाया।
शुरुआत में मतदान की रफ्तार बेहद धीमी रही लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही मतदान ने जोर पकड़ लिया। अपराह्न् तीन बजे तक लगभग 40 प्रतिशत मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर चुके थे। अंतिम घंटों में मतदान की रफ्तार में तेजी देखी गई। मतगणना मंगलवार को होगी।
एक निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, प्रथम तीन घंटे में 12 से 15 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था, लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही लोगों ने घरों से निकलना शुरू किया। अपराह्न् तीन बजे तक मतदान 40 प्रतिशत तक पहुंच गया और फिर खत्म होते-होते यह आंकड़ा 55 से 60 फीसदी के आसपास पहुंच गया।
कुल 272 सीटों के लिए मतदान रविवार सुबह आठ बजे शुरू हुआ था। इस बार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला।
निर्वाचन आयोग को कुछ केंद्रों से इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं।
मेहता ने कहा, "कुछ मतदान केंद्रों पर शुरुआती अवधि में ईवीएम के खराब होने एवं मतदाता पर्चियों के न बंटने की शिकायतें मिली थीं, जिन्हें दूर कर लिया गया।"
कुछ इलाकों में पिछले कई वर्ष से विकास न होने के विरोध में लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, सुबह बड़ी संख्या में महिलाएं मतदान के लिए निकलीं।
दिल्ली में एक करोड़ से अधिक मतदाता, 11,543 मतदान केंद्रों पर मतदान करने के पात्र थे। इन मतदाताओं ने 2,423 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद कर दिया।
दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में बांटे जाने के बाद पहली बार मतदान हो रहा है। उत्तरी एवं दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 104-104 वार्ड हैं, जबकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 64 वार्ड हैं।
शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष ढंग से मतदान सम्पन्न कराने के लिए दिल्ली पुलिस के 30000 जवान मतदान केंद्रों पर तैनात किए गए थे। भाजपा ने 2007 में हुए चुनावों में 168 सीटें हासिल की थीं। पहली बार निकाय चुनावों में 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं।
2013 के अंत में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर निकाय चुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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