बेंगलुरु:
कर्नाटक सरकार के नियंत्रण में 35,500 मंदिर हैं जहां साफ़ सफाई को लेकर हमेशा सवाल उठते रहते हैं। राज्य के मंत्री टी बी जयचंद्रा का मानना है कि इन मंदिरों में देश विदेश से बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं लेकिन यहां की गन्दगी उन्हें हमेशा खटकती है।
ऐसे में राज्य सरकार ने एक एनजीओ की मदद से तीन महीने में एक सर्वे कराया ताकि ये पता चल सके कि किस मंदिर में कचरा कितना निकलता है और वहां किस तरह की सुविधाओं की ज़रूरत है।
इस सर्वे से पता चला कि सिर्फ बेंगलुरु शहर के मंदिरों से हेर रिज़ लगभग 3000 किलो कचरा निकलता है, जो कि इस्तेमाल नहीं हुए फल फूल और खाने-पीने की दूसरी वस्तुओं से पैदा होता है। इनमें से एक चौथाई के बराबर नॉन बायोडिग्रेडेबल है यानी किसी काम का नहीं होता जबकि 75 फीसदी का इस्तेमाल बायो गैस और खाद तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
ऐसे में सरकार अपने बूते पर साफ़ सफाई और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का काम तो करेगी ही, साथ-साथ सरकार ने प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप का विकल्प भी खुला रखा है। राज्य सरकार के तहत आने वाले सभी 35,500 मंदिरों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सबसे पहले ए श्रेणी के बेंगलुरु के मंदिरों जैसे सुब्रमण्या, गवि गंगाधरा, आंजनेय, सोमेश्वरा जैसे मंदिर जहां भारी तादाद में श्रद्धालु हर रोज़ आते हैं।
ऐसे में राज्य सरकार ने एक एनजीओ की मदद से तीन महीने में एक सर्वे कराया ताकि ये पता चल सके कि किस मंदिर में कचरा कितना निकलता है और वहां किस तरह की सुविधाओं की ज़रूरत है।
इस सर्वे से पता चला कि सिर्फ बेंगलुरु शहर के मंदिरों से हेर रिज़ लगभग 3000 किलो कचरा निकलता है, जो कि इस्तेमाल नहीं हुए फल फूल और खाने-पीने की दूसरी वस्तुओं से पैदा होता है। इनमें से एक चौथाई के बराबर नॉन बायोडिग्रेडेबल है यानी किसी काम का नहीं होता जबकि 75 फीसदी का इस्तेमाल बायो गैस और खाद तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
ऐसे में सरकार अपने बूते पर साफ़ सफाई और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का काम तो करेगी ही, साथ-साथ सरकार ने प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप का विकल्प भी खुला रखा है। राज्य सरकार के तहत आने वाले सभी 35,500 मंदिरों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सबसे पहले ए श्रेणी के बेंगलुरु के मंदिरों जैसे सुब्रमण्या, गवि गंगाधरा, आंजनेय, सोमेश्वरा जैसे मंदिर जहां भारी तादाद में श्रद्धालु हर रोज़ आते हैं।
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