पंजाब में मंगलवार को पराली जलाने के 1776 मामले सामने आए, जिसके साथ ही ऐसे मामलों की कुल संख्या बढ़कर 28,117 हो गई. इसके साथ ही हरियाणा और पंजाब में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 'बहुत खराब' श्रेणी में रहा. ताजा आंकड़ों से संकेत मिलता है कि राज्य में पराली जलाने के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं.
राज्य में नौ नवंबर को 639; 10 नवंबर को छह; 11 नवंबर को 104; 12 नवंबर को 987 और 13 नवंबर को 1,624 ऐसे मामले सामने आए थे. अक्टूबर और नवंबर में दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाना एक अहम कारण माना जाता है.
पंजाब में 15 सितंबर से 14 नवंबर तक पराली जलाने के 28,117 मामले सामने आए हैं. इनमें संगरूर 4,961 मामलों के साथ पहले स्थान पर है. इसके बाद फिरोजपुर में 2,554, मनसा में 2,063, बठिंडा में 2,061 और तरन तारन में 1,976 मामले सामने आए.
इस बीच, हरियाणा के गुरुग्राम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 383 दर्ज किया गया. इसके अलावा फरीदाबाद में एक्यूआई 381, हिसार में 356, नारनौल में 340, रोहतक में 334, कैथल में 321, फतेहाबाद में 313, पानीपत में 300, फतेहाबाद में 299, सोनीपत में 273 और भिवानी में 263 रहा.
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.
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