
16 दिसबंर गैंगरेप की घटना के बाद प्रदर्शन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मुकेश, अक्षय, विनय और पवन। ये नाम वो हैं जिन्होंने 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में गैंगरेप की ऐसी वारदात को अंजाम दिया जिसने देश को झकझोर कर रख दिया। इस मामले में ट्रायल कोर्ट और हाइकोर्ट से चारों को फांसी की सजा मिली है लेकिन उसी रात बस में हुई डकैती के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों को 10-10 साल की सजा और 1-1 लाख का जुर्माना लगाया है।
हालांकि कोर्ट ने जब सजा सुनाई तो किसी के चेहरे पर शिकन तक नहीं रही। विनय तो अपनी मां से बात करता दिखा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रीतेश सिंह ने 27 अगस्त को आरोपी अक्षय कुमार सिंह, मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को IPC की धाराएं 394 और 395 (डकैती) , 342 एवं 365 (गोपनीय एवं गलत ढंग से बंधक बनाने के इरादे से अपहरण या अगवा करना) और 412 यानी डकैती का सामान बरामद करने के तहत दोषी ठहराया था।
बुधवार को कोर्ट ने चारों को 10-10 साल की सजा सुनाई और चार धाराओं के तहत सभी पर 25-25 और 412 के तहत 1-1 हजार का जुर्माना लगाया। यानी हर दोषी को 1 लाख 1 हजार का जुर्माना अदा करना होगा। अगर जुर्माना नहीं दिया तो एक-एक साल की सजा और काटनी होगी।
गौरतलब है कि दोषियों ने गैंगरेप से पहले एक कारपेंटर को बस में बंधक बनाकर लूटपाट की थी। बाद में ये मामला भी दर्ज किया गया था। इधर दोषियों के वकीलों का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल चारों की फांसी पर रोक लगा रखी है और उनकी अपील पर सुनवाई लंबित है।
एक किशोर समेत छह व्यक्तियों ने 16 दिसंबर, 2012 को एक चलती बस में 23 साल की एक लड़की से गैंगरेप और उस पर नृशंस हमला करने से पहले एक बढ़ई के साथ मारपीट और लूटपाट की थी। लड़की की 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में मौत हो गई थी।
मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को निचली अदालत ने गैंगरेप और हत्या के मामले में मृत्युदंड सुनाया था, जिस पर बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने मुहर लगायी थी। इन मुजरिमों की अपील फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
हालांकि कोर्ट ने जब सजा सुनाई तो किसी के चेहरे पर शिकन तक नहीं रही। विनय तो अपनी मां से बात करता दिखा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रीतेश सिंह ने 27 अगस्त को आरोपी अक्षय कुमार सिंह, मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को IPC की धाराएं 394 और 395 (डकैती) , 342 एवं 365 (गोपनीय एवं गलत ढंग से बंधक बनाने के इरादे से अपहरण या अगवा करना) और 412 यानी डकैती का सामान बरामद करने के तहत दोषी ठहराया था।
बुधवार को कोर्ट ने चारों को 10-10 साल की सजा सुनाई और चार धाराओं के तहत सभी पर 25-25 और 412 के तहत 1-1 हजार का जुर्माना लगाया। यानी हर दोषी को 1 लाख 1 हजार का जुर्माना अदा करना होगा। अगर जुर्माना नहीं दिया तो एक-एक साल की सजा और काटनी होगी।
गौरतलब है कि दोषियों ने गैंगरेप से पहले एक कारपेंटर को बस में बंधक बनाकर लूटपाट की थी। बाद में ये मामला भी दर्ज किया गया था। इधर दोषियों के वकीलों का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल चारों की फांसी पर रोक लगा रखी है और उनकी अपील पर सुनवाई लंबित है।
एक किशोर समेत छह व्यक्तियों ने 16 दिसंबर, 2012 को एक चलती बस में 23 साल की एक लड़की से गैंगरेप और उस पर नृशंस हमला करने से पहले एक बढ़ई के साथ मारपीट और लूटपाट की थी। लड़की की 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में मौत हो गई थी।
मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को निचली अदालत ने गैंगरेप और हत्या के मामले में मृत्युदंड सुनाया था, जिस पर बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने मुहर लगायी थी। इन मुजरिमों की अपील फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं