मध्य प्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ़ माता मंदिर क्षेत्र में सोमवार को मची भगदड़ में मृतकों की संख्या 115 हो गई है। मरने वालों में 33 बच्चे और 47 महिलाएं शामिल हैं। नदी में अब भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच राज्य सरकार ने निर्वाचन आयोग की अनुमति मिलने के बाद दतिया के कलेक्टर, एसपी सहित चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
सरकार ने 115 लोगों की मौत के मामले में प्रथमदृष्टया जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम), अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) को जिम्मेदार मानते हुए निलंबित कर दिया। राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से निर्वाचन आयोग से अनुमति मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई।
नवरात्रि के अंतिम दिन रविवार को रतनगढ़ मंदिर से पहले बने पुल के टूटने की अफवाह और पुलिस के बल प्रयोग के चलते भगदड़ मच गई थी। भीड़ ने बड़ी संख्या में महिलाएं व बच्चों को कुचल दिया था, वहीं कई लोग जान बचाने के लिए सिंधु नदी में कूद गए थे।
अनुविभागीय अधिकारी महिप तेजस्वी के मुताबिक इस हादसे में मरने वालों की संख्या 115 हो गई है। वहीं नदी में अब भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। मरने वालों में 33 बच्चे और 47 महिलाएं हैं।
दतिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एस आर गुप्ता ने बताया है कि अब तक 109 मृतकों का पोस्टमार्टम किया जा चुका है और उनके शव परिजनों को सौंपे जा चुके है। इनमें से 24-24 दतिया और इंदरगढ़ अस्पताल में और 61 मृतकों का पोस्टमार्टम सेंवढा अस्पताल में किया गया है।
वहीं राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हादसे के दूसरे दिन मंगलवार को दतिया जिला चिकित्सालय पहुंचकर रतनगढ़ मरीजों का हाल जाना। उन्होंने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि सरकार पीड़ितों के साथ है। चुनाव आचार संहिता के चलते अपनी लाचारी का हवाला देते हुए कहा कि मृतकों के परिजनों को निर्वाचन आयोग की अनुमति से प्राकृतिक आपदा प्रभावितों की तरह ही डेढ़ लाख का मुआवजा दिया गया है।
चौहान ने आगे कहा कि न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इस आयोग का मंगलवार को गठन कर दिया जाएगा। साथ ही यह भी प्रयास होगा कि दो माह में रिपोर्ट आ जाए, इसके बाद 15 दिन में कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सोमवार को रतनगढ़ का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए बगैर कहा है कि भगवान के नाम पर राजनीति करने वालों ने ही 300 लोगों को भगवान के पास पहुंचा दिया है, जबकि प्रशासन ने सिर्फ 111 लोगों की ही मौत का आंकड़ा दिया है।
देवी मंदिर के करीब पुल पर हुए हादसे के दूसरे दिन सोमवार को रतनगढ़ से ग्वालियर लौटे सिंधिया ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि इस हादसे को रोका जा सकता था। सरकार और प्रशासन की असफलता का प्रमाण है रतनगढ़ का हादसा। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि भगवान के नाम पर राजनीति करने वालों ने 300 लोगों को भगवान के पास पहुंचा दिया है। पुल पर महज कुछ ही पुलिस वालों की तैनाती थी, वहीं पूर्व में बनाए गए नियम के विरुद्ध ट्रैक्टरों को पुल तक जाने दिया गया।
रविवार की रात से सोमवार तड़के तक 111 मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम पूरा कर लिया गया। इसके बाद शवों को घरों तक पहुंचा दिया गया है। शवों के गांवों में पहुंचने पर वहां का माहौल मातम में बदल गया। वहीं घायलों का अब भी दतिया जिला चिकित्सालय सहित विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
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