मुर्दाघर में पिछले करीब तीन महीने से 11 पुलिसकर्मी हर समय पहरेदारी कर रहे
पठानकोट:
जनवरी में यहां वायुसेना के एयरबेस पर हमला करने के बाद सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गये चार आतंकवादियों के शव की सुरक्षा के लिए यहां सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर में पिछले करीब तीन महीने से 11 पुलिसकर्मी हर समय पहरेदारी कर रहे हैं।
एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि अस्पताल के अधिकारियों से शवों को सुरक्षित रखने को कहा गया है क्योंकि वे हमारे लिए सबूत हैं। अधिकारियों के अनुसार पाकिस्तान से आये जेआईटी ने आज शवों का परीक्षण नहीं किया।
यहां के एकमात्र सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर में अपने साथियों के साथ ड्यूटी पर लगे कांस्टेबल दलबीर सिंह ने कहा, ‘‘80 दिन हो गये हैं। मैं एक मिनट के लिए भी वहां से नहीं हट सकता।’’ जब भी कोई शव मुर्दाघर में लाया जाता है तो हैड कांस्टेबल विनोद कुमार सतर्क हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्पष्ट दिशानिर्देश मिले हैं कि किसी को कमरे के पास नहीं आने दिया जाए। अगर आतंकवादी एयरबेस के पास तक आ सकते हैं तो यह जगह भी उनकी पहुंच से दूर नहीं है। हमारे वरिष्ठ अधिकारी रोजाना दौरा करते हैं और शवों का निरीक्षण करते हैं। पुलिस नियंत्रण कक्ष से एक वैन भी हर रात को चाहरदीवारी के पास आकर खड़ी होती है।’’ आतंकवादियों को दो जनवरी को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। उनके शवों को सात जनवरी को अस्पताल के सुपुर्द किया गया।
अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ भूपिंदर सिंह ने कहा, ‘‘हमें मुठभेड़ के चार-पांच दिन बाद शव मिले, इसलिए उनमें कुछ बदलाव थे।’’ उन्होंने कहा कि शवों को डीप फ्रीजर में शून्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम तापमान से लेकर चार डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच रखा गया है।
ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के मुताबिक शव सड़ने लगे हैं। उन्हें सुरक्षित रखना चुनौती वाला है क्योंकि ग्रेनेड विस्फोट ने भी उन्हें काफी नुकसान पहुंचाया है। एक पुलिसकर्मी ने बताया कि जब बिजली चली जाती है तो असहनीय बदबू आती है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि अस्पताल के अधिकारियों से शवों को सुरक्षित रखने को कहा गया है क्योंकि वे हमारे लिए सबूत हैं। अधिकारियों के अनुसार पाकिस्तान से आये जेआईटी ने आज शवों का परीक्षण नहीं किया।
यहां के एकमात्र सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर में अपने साथियों के साथ ड्यूटी पर लगे कांस्टेबल दलबीर सिंह ने कहा, ‘‘80 दिन हो गये हैं। मैं एक मिनट के लिए भी वहां से नहीं हट सकता।’’ जब भी कोई शव मुर्दाघर में लाया जाता है तो हैड कांस्टेबल विनोद कुमार सतर्क हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्पष्ट दिशानिर्देश मिले हैं कि किसी को कमरे के पास नहीं आने दिया जाए। अगर आतंकवादी एयरबेस के पास तक आ सकते हैं तो यह जगह भी उनकी पहुंच से दूर नहीं है। हमारे वरिष्ठ अधिकारी रोजाना दौरा करते हैं और शवों का निरीक्षण करते हैं। पुलिस नियंत्रण कक्ष से एक वैन भी हर रात को चाहरदीवारी के पास आकर खड़ी होती है।’’ आतंकवादियों को दो जनवरी को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। उनके शवों को सात जनवरी को अस्पताल के सुपुर्द किया गया।
अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ भूपिंदर सिंह ने कहा, ‘‘हमें मुठभेड़ के चार-पांच दिन बाद शव मिले, इसलिए उनमें कुछ बदलाव थे।’’ उन्होंने कहा कि शवों को डीप फ्रीजर में शून्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम तापमान से लेकर चार डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच रखा गया है।
ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के मुताबिक शव सड़ने लगे हैं। उन्हें सुरक्षित रखना चुनौती वाला है क्योंकि ग्रेनेड विस्फोट ने भी उन्हें काफी नुकसान पहुंचाया है। एक पुलिसकर्मी ने बताया कि जब बिजली चली जाती है तो असहनीय बदबू आती है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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