प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सरकार एक नई व्यवस्था लाने की तैयारी में है जो चुराए गए या गायब हुए मोबाइल फोन पर सभी सेवाओं को रोक देगी. यह व्यवस्था सिम हटाने या आईएमईआई संख्या बदलने पर भी सभी नेटवर्क पर काम करेगी. ऐसे में मोबाइल चोरी से लोगों को छुटकारा कुछ हद तक मिल सकता है क्योंकि इसे गायब करने वालों को इसका कोई फायदा नहीं होगा. सार्वजनिक क्षेत्र की भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को इस नई प्रणाली सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (सीईआईआर) के लिए सॉफ्टवेयर तथा क्रियान्वयन के तौर-तरीके के विकास की जिम्मेदारी दी गई थी और कंपनी को अपने पुणे केंद्र से महाराष्ट्र में छह महीने तक इसका पायलट आधार पर परीक्षण करना है.
एक आधिकारिक दस्तावेज में कहा गया है कि सीईआईआर का मकसद नकली मोबाइल फोन की संख्या में कमी लाना तथा चोरी को हतोत्साहित करना है. इससे ग्राहकों के हितें की रक्षा होने के साथ कानूनी रूप से आवाज पकड़ने (इंटरसेप्शन) को लेकर जांच एजेंसियों के लिए रास्ता सुगम होगा. दूरसंचार विभाग की योजना के अनुसार सीईआईआर प्रणाली आईएमईआई डाटाबेस को सभी मोबाइल ऑपरेटरों के साथ जोड़ेगी.
दस्तावेज के अनुसार सीईआईआर काली सूची में डाले गए मोबाइल टर्मिनल (सेट) को सभी नेटवर्क आपरेटरों के बीच साझा करने के लिये के लिये केंद्रीय प्रणाली के रूप में काम करता है ताकि उक्त श्रेणी में एक नेटवर्क में रखे गये उपकरण दूसरे में काम नहीं करें. यह स्थिति तब भी होगी जब सिम कार्ड बदल दिया जाए. जब मोबाइल फोन गायब होता है, संबंधित व्यक्ति को हैंडसेट का पता लगाने के लिए आईएमईआई संख्या बताना होगा. आईएमईआई 15 अंकों की संख्या है जो वैश्विक उद्योग संगठन जीएसएमए आवंटित करता है.
दस्तावेज में कहा गया है, "मोबाइल फोन की चोरी केवल वितीय नुकसान नहीं है बल्कि नागरिकों के व्यक्तिगत जीवन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है." गायब हुए, चुराए गए या नकली हैंडसेट के आईएमईआई को सीईआईआर की सूचना दी जाएगी. दूरसंचार विभाग ने वैसे तो दूरसंचार परिचालकों को फर्जी आईएमईआई संख्या वाले मोबाइल फोन को सेवा उपलब्ध कराने से इनकार किया है. लेकिन कंपनियों को नकली आईएमईआई संख्या वाले हैंडसेट की पहचान में दिक्कत आती है. सीईआईआर परिचालकों को फर्जी आईएमईआई संख्या वाले हैंडसेट की पहचान में भी मदद करेगा. दूरसंचार विभाग नियमों को भी अधिसूचित करने की तैयारी में है जिसमें आईएमईआई संख्या में छेड़छाड़ दंडनीय अपराध होगा. इसमें तीन साल तक की जेल हो सकती है.
(इनपुट भाषा से भी)
एक आधिकारिक दस्तावेज में कहा गया है कि सीईआईआर का मकसद नकली मोबाइल फोन की संख्या में कमी लाना तथा चोरी को हतोत्साहित करना है. इससे ग्राहकों के हितें की रक्षा होने के साथ कानूनी रूप से आवाज पकड़ने (इंटरसेप्शन) को लेकर जांच एजेंसियों के लिए रास्ता सुगम होगा. दूरसंचार विभाग की योजना के अनुसार सीईआईआर प्रणाली आईएमईआई डाटाबेस को सभी मोबाइल ऑपरेटरों के साथ जोड़ेगी.
दस्तावेज के अनुसार सीईआईआर काली सूची में डाले गए मोबाइल टर्मिनल (सेट) को सभी नेटवर्क आपरेटरों के बीच साझा करने के लिये के लिये केंद्रीय प्रणाली के रूप में काम करता है ताकि उक्त श्रेणी में एक नेटवर्क में रखे गये उपकरण दूसरे में काम नहीं करें. यह स्थिति तब भी होगी जब सिम कार्ड बदल दिया जाए. जब मोबाइल फोन गायब होता है, संबंधित व्यक्ति को हैंडसेट का पता लगाने के लिए आईएमईआई संख्या बताना होगा. आईएमईआई 15 अंकों की संख्या है जो वैश्विक उद्योग संगठन जीएसएमए आवंटित करता है.
दस्तावेज में कहा गया है, "मोबाइल फोन की चोरी केवल वितीय नुकसान नहीं है बल्कि नागरिकों के व्यक्तिगत जीवन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है." गायब हुए, चुराए गए या नकली हैंडसेट के आईएमईआई को सीईआईआर की सूचना दी जाएगी. दूरसंचार विभाग ने वैसे तो दूरसंचार परिचालकों को फर्जी आईएमईआई संख्या वाले मोबाइल फोन को सेवा उपलब्ध कराने से इनकार किया है. लेकिन कंपनियों को नकली आईएमईआई संख्या वाले हैंडसेट की पहचान में दिक्कत आती है. सीईआईआर परिचालकों को फर्जी आईएमईआई संख्या वाले हैंडसेट की पहचान में भी मदद करेगा. दूरसंचार विभाग नियमों को भी अधिसूचित करने की तैयारी में है जिसमें आईएमईआई संख्या में छेड़छाड़ दंडनीय अपराध होगा. इसमें तीन साल तक की जेल हो सकती है.
(इनपुट भाषा से भी)
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