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This Article is From Aug 23, 2017

शहरों के बीच से गुजरने वाले हाइवे पर बिक सकती है शराब: सुप्रीम कोर्ट

देश भर में शहरों के बीच से गुजरने वाले हाइवे पर शराब बेचा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि निगम की सीमाओं में अगर सड़कों का पुन: वर्गीकरण ( reclassified) किया गया है तो यह आदेश लागू नहीं होगा.

शहरों के बीच से गुजरने वाले हाइवे पर बिक सकती है शराब: सुप्रीम कोर्ट
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली: देश भर में शहरों के बीच से गुजरने वाले हाइवे पर शराब बेचा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि निगम की सीमाओं में अगर सड़कों का पुन: वर्गीकरण ( reclassified) किया गया है तो यह आदेश लागू नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 31 दिसंबर 2015 को दिए गए आदेश के पीछे सोच उस हाइवे की थी जो शहर, कस्बे या गांव को जोड़ते हैं. इसलिए शराब बिक्री का नियम निगम या महानगर पालिका सीमा के तहत आने वाले हाइवे पर लागू नहीं होगा. यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में हाइवे डिनोटिफाई करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए दिया था, हालांकि यह आदेश अब जारी किया गया है. 

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दरअसल जुलाई में हाइवे के 500 मीटर इलाके में शराब पर रोक के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई हाइवे सिटी के बीच से होकर गुजरता है और अगर उसे डिनोटिफाई किया जाता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है. इस संबंध में कोर्ट ने कहा था कि सिटी के अंदर के हाइवे और बिना सिटी के हाइवे में बहुत अंतर है. हाइवे का मतलब है जहां तेज रफ्तार में गाड़ियां चलती हों. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाइवे के 500 मीटर दायरे में शराब की बिक्री पर रोक के पीछे सोच यह है कि लोग शराब पीकर तेज रफ्तार में गाड़ी ना चलाए. हालांकि सिटी में इस तरह की रफ्तार देखने को नहीं मिलती.11 जुलाई को चंडीगढ़ में हाइवे को डिनोटिफाई करने के खिलाफ याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी. 

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हाइवे का नाम बदल दिया गया था
दरअसल, चंडीगढ़ में कई जगह हाइवे का नाम बदलकर 'मेजर डिस्ट्रिक रोड' का नाम कर दिया गया था. इसी को लेकर 'एराइव सेफ इंडिया' NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने हाइवे पर शराब की दुकानों को बंद करने का फैसला जनहित में लिया था. क्योंकि इससे सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्‍प्रभावी करने के लिए 16 मार्च 2017 का नोटिफिकेशन अवैध है और रद्द किया जाना चाहिए. हालांकि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी इस याचिका को खारिज कर चुका है. 
 

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