
नई दिल्ली:
टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ने भाजपा की अगुवाई में चल रहे एनडीए सरकार के खिलाफ खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है. वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने कहा है कि वो वोटिंग में हिस्सा नहीं लेगी. लोकसभा में शिवसेना की 18 सीटें हैं. गौरतलब है कि टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ने यह कदम आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इनकार करने पर उठाया गया है. आपको बता दें कि प्रस्ताव को तभी स्वीकार किया जा सकता है जब सदन में उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो. वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा में 9 सदस्य हैं. अगर इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो यह मोदी सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला पहला अविश्वास प्रस्ताव होगा.
वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी और टीडीपी ने विभिन्न दलों के नेताओं को पत्र लिखकर प्रस्ताव के लिये समर्थन मांगा है. टीएमसी, सीपीआईएम और आरजेडी और कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन करने का फैसला किया है. वहीं एनडीटीवी से बातचीत में एक टीडीपी सांसद राम मोहन नायडू ने कहा कि आज नोटिस दिया गया है. वाईएसआर के आने से कोई समस्या नहीं है. हमारा मकसद सरकार गिराना नहीं बल्कि हमारे मुद्दे पर सदन में चर्चा करना है. जबकि एक दूसरे सांसद टीडीपी सांसद टी. नरसिम्हन ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि उनकी पार्टी आज अविश्वास प्रस्ताव लाएगी और इस पर टीएमसी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से भी बात की है. उन्होंने कहा कि वाईएसआर कांग्रेस सिर्फ राजनीति कर रही है उनको राज्य की भलाई की कोई चिंता नहीं है.
क्या गिरिराज और नित्यानंद ने अपने बयानों से नीतीश की एक और हार का आधार तय कर दिया है?
536 सदस्यीय लोकसभा में भाजपा के 274 सदस्य हैं जबकि सहयोगी दलों के 56 सदस्य हैं. अगर अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है तो निश्चित तौर पर यह गिर जाएगा, लेकिन विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में भगवा दल को मुश्किल स्थिति में डाल देगा. क्योंकि जहां शिवसेना के भले ही वोटिंग में हिस्सा न ले रही हो लेकिन उसका सरकार के साथ न जाना बीजेपी को एक तरह से आंख दिखाना ही है.
क्या अभी एनडीए की स्थिति
बीजेपी-274
लोक जनशक्ति पार्टी-6
अकाली दल-4
आरएलएसपी-3
जेडीयू-2
अपना दल-2
पीडीपी-1
शिवसेना-18 ( शिवसेना ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लेगी)
इनपुट : भाषा से भी
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वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी और टीडीपी ने विभिन्न दलों के नेताओं को पत्र लिखकर प्रस्ताव के लिये समर्थन मांगा है. टीएमसी, सीपीआईएम और आरजेडी और कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन करने का फैसला किया है. वहीं एनडीटीवी से बातचीत में एक टीडीपी सांसद राम मोहन नायडू ने कहा कि आज नोटिस दिया गया है. वाईएसआर के आने से कोई समस्या नहीं है. हमारा मकसद सरकार गिराना नहीं बल्कि हमारे मुद्दे पर सदन में चर्चा करना है. जबकि एक दूसरे सांसद टीडीपी सांसद टी. नरसिम्हन ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि उनकी पार्टी आज अविश्वास प्रस्ताव लाएगी और इस पर टीएमसी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से भी बात की है. उन्होंने कहा कि वाईएसआर कांग्रेस सिर्फ राजनीति कर रही है उनको राज्य की भलाई की कोई चिंता नहीं है.
क्या गिरिराज और नित्यानंद ने अपने बयानों से नीतीश की एक और हार का आधार तय कर दिया है?
536 सदस्यीय लोकसभा में भाजपा के 274 सदस्य हैं जबकि सहयोगी दलों के 56 सदस्य हैं. अगर अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है तो निश्चित तौर पर यह गिर जाएगा, लेकिन विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में भगवा दल को मुश्किल स्थिति में डाल देगा. क्योंकि जहां शिवसेना के भले ही वोटिंग में हिस्सा न ले रही हो लेकिन उसका सरकार के साथ न जाना बीजेपी को एक तरह से आंख दिखाना ही है.
क्या अभी एनडीए की स्थिति
बीजेपी-274
लोक जनशक्ति पार्टी-6
अकाली दल-4
आरएलएसपी-3
जेडीयू-2
अपना दल-2
पीडीपी-1
शिवसेना-18 ( शिवसेना ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लेगी)
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