सुशील कुमार मोदी (फाइल फोटो)
पटना:
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने सलाहकार प्रशांत किशोर को प्रदेश में सत्ताधारी जदयू का सलाहकार बना देने का सुझाव देते हुए सोमवार को पूछा कि वे किस हैसियत से जदयू कार्यकर्ताओं की बैठकों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को दरकिनार कर न केवल बैठक का संचालन करते हैं बल्कि टिप्स देने के साथ कार्यकारिणी का भी निर्धारण करते हैं।
अध्यक्ष को दरकिनार कर जदयू की बैठकें करते हैं प्रशांत
सुशील ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि प्रशांत किशोर जदयू के राजनीतिक सलाहकार नहीं बल्क नीति एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिए बिहार के मुख्यमंत्री के सलाहकार और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य हैं। उन्होंने पूछा है कि नीतीश कुमार बताएं कि प्रशांत किशोर किस हैसियत से जदयू कार्यकर्ताओं की बैठकों को प्रदेश अध्यक्ष को दरकिनार कर न केवल संचालन करते हैं बल्कि टिप्स देने के साथ ही कार्यकारिणी का निर्धारण भी करते हैं।
बिहार सरकार का परामर्शी अमरिंदर सिंह का सलाहकार
सुशील ने कहा कि बिहार सरकार का एक परामर्शी किस हैसियत से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह का राजनीतिक सलाहकार और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवन देने का दायित्व संभाल रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे में नीतीश कुमार प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री के परामर्शी के पद से हटाकर जदयू का राजनीतिक सलाहकार या मंत्री क्यों नहीं बना लेते हैं कि उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की खुली छूट मिल जाए।
नौकरशाही का मनोबल गिर रहा
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर के बारे में कहा कि वे जहां पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के राजनीतिक सलाहकार का दायित्व संभाल रहे हैं वहीं राहुल गांधी के साथ दिल्ली में बैठक कर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर बिहार में उन्हें मुख्यमंत्री का परामर्शी और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य के तौर पर मुख्य सचिव, विकास आयुक्त और विभागों के प्रधान सचिवों से अधिक तवज्जो दिया जा रहा है। क्या इससे बिहार में नौकरशाही का मनोबल नहीं गिर रहा है। क्या यह जनता के पैसे का दुरुपयोग नहीं है।
शुरू हो रही गलत परिपाटी
सुशील ने कहा कि इसके पहले भी राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों के लिए एस विजय राघवन, डा मंगला राय, पीके राय और पवन वर्मा को परामर्शी नियुक्त किया था मगर किसी ने भी राजनीतिक कार्यो में कोई दखलअंदाजी नहीं की जबकि प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री के परामर्शी होने के बावजूद जदयू से लेकर कांग्रेस तक की राजनीतिक गतविधियों में जिस तरह से सक्रिय हैं, उससे एक गलत परिपाटी शुरू हो रही है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को अविलम्ब उन्हें परामर्शी के पद से हटा कर जदयू या महागठबंधन का राजनीतिक सलाहकार नियुक्त कर लेना चाहिए।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
अध्यक्ष को दरकिनार कर जदयू की बैठकें करते हैं प्रशांत
सुशील ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि प्रशांत किशोर जदयू के राजनीतिक सलाहकार नहीं बल्क नीति एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिए बिहार के मुख्यमंत्री के सलाहकार और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य हैं। उन्होंने पूछा है कि नीतीश कुमार बताएं कि प्रशांत किशोर किस हैसियत से जदयू कार्यकर्ताओं की बैठकों को प्रदेश अध्यक्ष को दरकिनार कर न केवल संचालन करते हैं बल्कि टिप्स देने के साथ ही कार्यकारिणी का निर्धारण भी करते हैं।
बिहार सरकार का परामर्शी अमरिंदर सिंह का सलाहकार
सुशील ने कहा कि बिहार सरकार का एक परामर्शी किस हैसियत से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह का राजनीतिक सलाहकार और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवन देने का दायित्व संभाल रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे में नीतीश कुमार प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री के परामर्शी के पद से हटाकर जदयू का राजनीतिक सलाहकार या मंत्री क्यों नहीं बना लेते हैं कि उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की खुली छूट मिल जाए।
नौकरशाही का मनोबल गिर रहा
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर के बारे में कहा कि वे जहां पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के राजनीतिक सलाहकार का दायित्व संभाल रहे हैं वहीं राहुल गांधी के साथ दिल्ली में बैठक कर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर बिहार में उन्हें मुख्यमंत्री का परामर्शी और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य के तौर पर मुख्य सचिव, विकास आयुक्त और विभागों के प्रधान सचिवों से अधिक तवज्जो दिया जा रहा है। क्या इससे बिहार में नौकरशाही का मनोबल नहीं गिर रहा है। क्या यह जनता के पैसे का दुरुपयोग नहीं है।
शुरू हो रही गलत परिपाटी
सुशील ने कहा कि इसके पहले भी राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों के लिए एस विजय राघवन, डा मंगला राय, पीके राय और पवन वर्मा को परामर्शी नियुक्त किया था मगर किसी ने भी राजनीतिक कार्यो में कोई दखलअंदाजी नहीं की जबकि प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री के परामर्शी होने के बावजूद जदयू से लेकर कांग्रेस तक की राजनीतिक गतविधियों में जिस तरह से सक्रिय हैं, उससे एक गलत परिपाटी शुरू हो रही है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को अविलम्ब उन्हें परामर्शी के पद से हटा कर जदयू या महागठबंधन का राजनीतिक सलाहकार नियुक्त कर लेना चाहिए।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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