फाइल फोटो...
नई दिल्ली/मुंबई:
24 नवंबर को दिल्ली के हज़रत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के बाहर एक कार से बरामद 27 लाख रुपये कहने को तो मुंबई से आए थे, लेकिन असल में रुपये किसके हैं और मुंबई में कैसे पहुंचे.. इस राज़ पर से पर्दा उठना अभी बाकी है. दिल्ली पुलिस की मानें तो रुपयों के साथ पकड़े गए लोगों ने इस पूरे नेटवर्क के पीछे संजय मलिक नाम के शख्स का नाम बताया है.
संजय मलिक की बड्डी में दवाई की कंपनी है, लेकिन बताया जाता है कि संजय बड़ा हवाला कारोबारी भी है. आरोप है कि नोटबंदी के बाद से संजय करीब डेढ़ करोड़ रुपये बदलवा चुका है. बदले में उसे मोटा कमीश मिलने का भी आरोप है.
सवाल है कि ये रुपये किसके हैं और सिर्फ 27 लाख ही पकड़े गए हैं तो बाकी रुपये कहां गए? इससे भी अहम सवाल ये है कि घंटों कतार में खड़े रहकर आम आदमी जहां कुछ हजार रुपये ही बदलवा पा रहे हैं या फिर अपने बैंक अकाउंट से निकाल पा रहे हैं, वहां इतनी बड़ी रकम कैसे निकल पा रही है?
दिल्ली में बरामद की गई रकम के बारे में पता चला है कि इसके बदले में 500 और 1000 के पुराने नोट आंध्र प्रदेश के बैंकों में डिपाजिट किए गए. फिर उनके बदले में मुंबई के किसी बैंक से 2000 रुपये के नए नोट निकाले गए. तो क्या कालेधन को सफ़ेद करने के इस खेल में बैंक के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं?
मामले की जांच अब आयकर विभाग को दे दी गई है. अब उसे पता करना है कि बरामद की गई रकम कालाधन है या फिर मेहनत की कमाई? वैसे चर्चा है कि संजय मलिक के दिल्ली और मुंबई में कई बड़े सरकारी बाबुओं से अच्छे रिश्ते हैं और बरामद रकम भी उन्ही सरकारी बाबुओं की काली कमाई हो सकती है.
संजय मलिक की बड्डी में दवाई की कंपनी है, लेकिन बताया जाता है कि संजय बड़ा हवाला कारोबारी भी है. आरोप है कि नोटबंदी के बाद से संजय करीब डेढ़ करोड़ रुपये बदलवा चुका है. बदले में उसे मोटा कमीश मिलने का भी आरोप है.
सवाल है कि ये रुपये किसके हैं और सिर्फ 27 लाख ही पकड़े गए हैं तो बाकी रुपये कहां गए? इससे भी अहम सवाल ये है कि घंटों कतार में खड़े रहकर आम आदमी जहां कुछ हजार रुपये ही बदलवा पा रहे हैं या फिर अपने बैंक अकाउंट से निकाल पा रहे हैं, वहां इतनी बड़ी रकम कैसे निकल पा रही है?
दिल्ली में बरामद की गई रकम के बारे में पता चला है कि इसके बदले में 500 और 1000 के पुराने नोट आंध्र प्रदेश के बैंकों में डिपाजिट किए गए. फिर उनके बदले में मुंबई के किसी बैंक से 2000 रुपये के नए नोट निकाले गए. तो क्या कालेधन को सफ़ेद करने के इस खेल में बैंक के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं?
मामले की जांच अब आयकर विभाग को दे दी गई है. अब उसे पता करना है कि बरामद की गई रकम कालाधन है या फिर मेहनत की कमाई? वैसे चर्चा है कि संजय मलिक के दिल्ली और मुंबई में कई बड़े सरकारी बाबुओं से अच्छे रिश्ते हैं और बरामद रकम भी उन्ही सरकारी बाबुओं की काली कमाई हो सकती है.
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