दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को अपनी किसी भी योजना को पूरा करने के लिए पैसा चाहिए। दिल्ली सरकार की आमदनी का 70 फीसदी वैट से आता है, जो व्यापारियों और कारोबारियों से वसूला जाता है।
दिल्ली सरकार को वैट से सालाना करीब 20 हज़ार करोड़ की आमदनी होती है, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसको 30 हज़ार करोड़ करने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए अधिकारियों को एक्शन प्लान लेकर आने के लिए कहा गया है। यानी इस सालाना इस अतिरिक्त 10 हज़ार करोड़ रुपये से ही केजरीवाल उन सपनों को पूरा करेंगे, जो उन्होंने दिल्ली वालों को दिखाए।
वैट कलेक्शन में सीधे-सीधे इतनी बढ़ोतरी कैसे होगी, इसको लेकर व्यापारियों में अटकलों का बाज़ार गर्म है। मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि व्यापारियों में इस बात को लेकर हड़कंप मचा हुआ है और सरकार इस पर तस्वीर साफ करे।
जवाब में सीएम केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में बताया कि लक्ष्य 20,000 करोड़ से बढा़कर 30,000 करोड़ रखा गया है, लेकिन इसके लिए कोई रेड नहीं होगी और न ही व्यापारियों पर कोई बोझ डाला जाएगा, बल्कि व्यापारियों से बात करके और सहमति से ही टैक्स कलेक्शन बढ़ाया जाएगा।
केजरीवाल ने दलील दी कि पिछली बार जब वे सीएम थे, तो व्यापारियों पर कोई रेड न करके उन्होंने जिस तरह का माहौल व्यापारियों को दिया, उसकी वजह से ही उस दौरान करीब 1,000 करोड़ का अतिरिक्त रिकॉर्ड वैट कलैक्शन हुआ। केजरीवाल ने कहा, "उम्मीद है कि अगर हम व्यापारियों को गले लगाकर और उनको सुरक्षा की भावना दें, तो 30,000 करोड़ तो क्या 60,000 करोड़ का लक्ष्य भी पूरा हो सकता है।"
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