प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के 49वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए. शांति निकेतन में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सबसे पहले ही उन्हें माफी मांगनी पड़ी. दरअसल, विश्व भारती परिसर में पेयजल की कमी की दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि उसकी व्यवस्था उत्तम नहीं थी, जिसकी वजह से संबोधन के शुरआत में ही पीएम मोदी ने छात्रों से माफी मांगी. बता दें कि वह विश्व भारती के 49वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपती के रूप में शामिल हुए.
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अपने संबोधन के शुरुआत में पीएम मोदी ने जोरदार स्वागत के बीच कहा, "मैं विश्व भारती के कुलाधिपति के रूप में आपसे क्षमा मांगता हूं. जब मैं यहां आ रहा था, कुछ छात्रों की भावभंगिमा ने मुझे पेयजल की कमी के बारे में बता दिया. मैं इस असुविधा के लिए आपसे क्षमा मांगता हूं." इसके बाद उन्होंने अपने भाषण में छात्रों से कहा कि वे सभी इस समृद्ध विरासत के वारिस हैं.
इस विश्वविद्यालय को नोबल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोलपुर में बनवाया था. खबरों के मुताबिक, अपर्याप्त पेयजल आपूर्ति की वजह से कुछ छात्र बीमार पड़ गए. इस दौरान मोदी की बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के.एन. त्रिपाठी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद रहे.
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पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर की इस पवित्र भूमि में इतने आचार्यों के बीच मुझे आज कुछ समय बिताने का समय मिला है. उन्होंने कहा कि आज भी विदेशों में गुरुदेव का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. बता दें कि इसके बाद पीएम मोदी ने बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना के साथ मिलकर शांति निकेतन में बांग्लादेश भवन का उद्घाटन किया.
VIDEO: शांति निकेतन में पीएम मोदी और शेख हसीना ने बांग्लादेश भवन का किया उद्घाटन
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