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This Article is From Oct 24, 2014

शरद शर्मा की कलम से : दिल्ली के नसीब में कौन?

शरद शर्मा की कलम से : दिल्ली के नसीब में कौन?
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र और हरियाणा में अभूतपूर्व प्रदर्शन के बाद बीजेपी के हौसले हौसले पूरी तरह से बुलंद हैं और हो भी क्यों न, आखिर बीजेपी अपने जीवनकाल का सबसे सुनहरा दौर जो देख रही है। ऐसे में अब नजरें दिल्ली पर लगी हैं कि आखिर दिल्ली में क्या होगा, सरकार बनेगी या चुनाव होंगे?

सोमवार को दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने एनडीटीवी इंडिया के साथ बातचीत में दिल्ली में चुनाव के संकेत देते हुए कहा था कि जिस तरह की सुनामी हरियाणा में आई है, उसका असर आपको दिल्ली में भी निश्चित रूप से दिखाई देगा, संख्या के रूप में भी और वैसे भी।

हालांकि इस पर पार्टी में कोई फैसला नहीं हुआ है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट में 28 अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई भी है, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल अदालत को यह बताएंगे कि आखिर दिल्ली के बारे में वह क्या फैसला ले रहे हैं।

सियासी हलकों में चर्चा इस बात की है कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने सबसे बड़े दल के रूप में बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देने के लिए राष्ट्रपति की राय मांगी थी, जिस पर राष्ट्रपति ने कोई राय दिए बिना फाइल लौटा दी। इस पर औपचारिक स्थिति अभी तक साफ नहीं हैं, शायद 28 अक्टूबर की सुनवाई में बात साफ हो पाए।

जहां तक आम आदमी पार्टी का सवाल है, तो वह आज भी बीजेपी को ललकार रही है और कह रही कि हिम्मत है तो चुनाव कराओ। आम आदमी पार्टी इस बात पर जोर दे रही है कि दिल्ली में बीजेपी के पास अरविंद केजरीवाल की टक्कर का मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं हैं, इसलिए जब दिल्ली में चुनाव होंगे, तो दिल्ली की जनता केजरीवाल के नाम पर आम आदमी पार्टी को वोट देगी।

15 साल तक दिल्ली में राज करने वाली कांग्रेस दबे स्वर में कह रही है कि दिल्ली में चुनाव होने चाहिए। ये सब तो वे बातें है, जो जाहिर हो चुके हैं, लेकिन जरा एक विस्तृत आकलन करके देखते हैं कि अब अगर दिल्ली में चुनाव हो जाएं, तो कौन सी पार्टी कितने पानी में रहेगी।

बीजेपी का सकारात्मक पहलू

1. बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिनके नाम पर इन दिनों वोटर कमल पर बटन दबाता है और वोट बीजेपी को पड़ता है

2. देश में प्रचंड बहुमत, हरियाणा में पहली बार सरकार और महाराष्ट्र में पहली बार बीजेपी का मुख्यमंत्री बनने के आसार से बीजेपी फॉर्म में है। लगातार जीत से संगठन मजबूत है और कार्यकर्ताओं में उत्साह कायम है

3. मध्यम वर्ग में पार्टी मजबूत स्थिति में

4. सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी और हिन्दुत्व समर्थकों की बड़ी मौजूदगी

5. संचार के सभी साधनों का अच्छा मैनेजमेंट, जिससे पार्टी अपना संदेश जनता के बीच बड़े पैमाने पर और अपने तरीके से पहुंचा सकती है

बीजेपी का नकारात्मक पहलू
1. पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा दिल्ली में बीजेपी के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं, जिस पर बीजेपी प्रचार के लिए निर्भर कर सके

2. सीएम कैंडिडेट घोषित करने लायक कोई ऐसा चर्चित चेहरा नहीं, जो अरविंद केजरीवाल को टक्कर दे सके। अपने-अपने इलाकों में तो बहुत नेता हैं, जो सीएम की रेस में हैं, लेकिन वे पूरी दिल्ली के स्तर के नहीं हैं।

3. लोकसभा चुनाव में लोगों ने वोट मोदी के नाम पर डाला था, बीजेपी के नहीं और मोदी अब पीएम बन चुके हैं। अब अगर चुनाव हुए, तो मोदी कितने वोट बीजेपी के नाम पर डलवा पाएंगे, यह भी एक सवाल है, क्योंकि दिसंबर, 2013 में मोदी ने जिन छह जगहों पर दिल्ली में रैली की थी, उनमें बीजेपी केवल दो जगह ही सीट निकाल पाई थी।

आप का सकारात्मक पहलू

1. अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के चेहरा हैं और वोटर इनके नाम पर झाड़ू का बटन दबाता है

2. केजरीवाल इस समय दिल्ली में मौजूद सभी प्रदेश स्तर के नेताओं में सबसे चर्चित सीएम कैंडिडेट हैं

3. आर्थिक रूप से कमजोर तबके में पार्टी का जनाधार मजबूत है

4. सोशल मीडिया पर पार्टी और केजरीवाल समर्थकों की मौजूदगी अच्छी-खासी है

5. लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी ने दिल्ली में अपने संगठन पर ध्यान दिया

आप का नकारात्मक पहलू

1. दिल्ली में सरकार से इस्तीफा देना आज भी लोगों के मन में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के प्रति रुझान कम करने और नाराजगी का सबसे बड़ा कारण है

2. आए दिन पार्टी के विधायक या नेता कुछ ऐसा कर देते हैं, जिससे पार्टी या केजरीवाल सवालों के घेरे में आ जाते हैं। इससे पार्टी की साख आम जनता में प्रभावित होती है

3. मध्यम वर्ग में पार्टी जहां पिछले विधानसभा चुनाव में जबरदस्त लोकप्रिय थी, वहीं अब मिडिल क्लास में ही पार्टी की घटी लोकप्रियता उसके लिए चुनौती बनी हुई है, जिसका नतीजा लोकसभा चुनाव में देखने को मिला।

जहां तक कांग्रेस का सवाल है, तो कुछ दिन पहले ऐसा लग रहा था कि चुनाव होने पर कांग्रेस कुछ चढ़ सकती है, लेकिन हरियाणा चुनाव के नतीजों के बाद अब साफ लगता है कि मुकाबला सीधे बीजेपी बनाम आप ही होगा।

ऐसे में जब दिल्ली में चुनाव कराना बीजेपी के हाथ में है, वह आकलन कर रही है कि क्या चुनाव कराना ही एकमात्र विकल्प रह गया है या फिर कुछ और भी हो सकता है और अगर चुनाव कराने भी पड़े, तो कब कराना ठीक रहेगा। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी भी अपनी प्रचार की रणनीति बना रही है, क्योंकि यह चुनाव उसके अस्तित्व से जुड़ा हुआ है।

बीजेपी के लिए दिल्ली में सरकार बनाना इज्जत का सवाल है, क्योंकि वह पिछले 16 सालों से दिल्ली में सत्ता से बाहर है। दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी के लिए यह उसके अस्तित्व का सवाल है, क्योंकि उसका सबसे बड़ा जनाधार अगर कहीं है, तो केवल दिल्ली में है और अगर वह दिल्ली न जीत पाई, तो फिर क्या करेगी। चलिए इंतजार करते हैं और देखते हैं कि दिल्ली के नसीब में कौन है, क्योंकि आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली का भविष्य तय हो सकता है।

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