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This Article is From Nov 08, 2020

US राष्ट्रपति चुनावों में जो बाइडेन की जीत के क्या हैं मायने? भारत पर क्या पड़ सकता है असर? 

इसी साल जुलाई में ही उन्होंने कहा था कि अगर वह नवंबर में राष्ट्रपति का चुनाव जीतते हैं, तो वह भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय एच-1बी वीज़ा पर लागू अस्थायी निलंबन को खत्म कर देंगे.

US राष्ट्रपति चुनावों में जो बाइडेन की जीत के क्या हैं मायने? भारत पर क्या पड़ सकता है असर? 
जो बाइडेन ने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति का चुनाव जीतते हैं, तो वह भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय एच-1बी वीज़ा पर लागू अस्थायी निलंबन को खत्म कर देंगे
नई दिल्ली:

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों (US Presidential Elections 2020) में 77 वर्षीय डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन (Joe Biden) की जीत हुई है. उन्हें भारत का हिमायती समझा जाता रहा है. उनके राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भारत-अमेरिकी संबंधों के और प्रगाढ़ होने की संभावना है क्योंकि बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहने के दौरान बाइडेन आठ सालों तक उप राष्ट्रपति रहे हैं और उस कार्यकाल में भारत के साथ मजबूत संबंधों के पक्षधर रहे हैं. चुनाव अभियान के दौरान भी बाइडेन ने बतौर उप राष्ट्रपति अपने कार्यकाल को याद करते हुए भारत से संबंधों को और मजबूत किए जाने का जिक्र किया है. उन्होंने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो भारत-अमेरिका के बीच रिश्ते उनकी प्राथमिकता रहेगी.

बाइडेन ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के पारित होने में भी अहम भूमिका निभायी थी. जब बराक ओबामा भी इस मामले में संकोच कर रहे थे, तब बाइडेन ने डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के सांसदों से बात कर  अमेरिकी कांग्रेस से 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को पास कराने में भूमिका निभाई थी. भारतीय राजनेताओं से मजबूत संबंध रखने वाले बाइडेन के दायरे में काफी संख्या में भारतीय-अमेरिकी भी हैं.

उप राष्ट्रपति बनने से पहले साल 2006 में उन्होंने अमेरिकी-भारत संबंधों पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए कहा था, "मेरा सपना है कि 2020 में,  भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया के दो सबसे करीबी देश होंगे."

डेलावेयर राज्य में लगभग तीन दशकों तक सीनेटर रहने वाले बाइडेन हमेशा ही भारत-अमेरिकी संबंधों को मजबूत करने के हिमायती रहे. चुनाव के लिए कोष जुटाने के एक अभियान के दौरान जुलाई में बाइडेन ने कहा था कि भारत-अमेरिका ''प्राकृतिक साझेदार'' हैं.

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इसी साल जुलाई में ही उन्होंने कहा था कि अगर वह नवंबर में राष्ट्रपति का चुनाव जीतते हैं, तो वह भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय एच-1बी वीज़ा पर लागू अस्थायी निलंबन को खत्म कर देंगे. अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ ही वहां नौकरी या स्थायी नागरिकता का सपना देख रहे भारतीयों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन की एच1बी (H1B)  वीजा और ग्रीन कार्ड (Green Card) योजना से हजारों भारतीयों को लाभ होगा. हर साल एच1बी वीजा का 70 फीसदी कोटा भारतीयों के खाते में ही जाता रहा है.  

बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 23 जून को भारतीय आईटी पेशेवरों को एक बड़ा झटका देते हुए एच-1बी वीज़ा और अन्य विदेशी कार्य वीज़ा को 2020 के अंत तक निलंबित कर दिया था. चुनावी साल में अमेरिकी कामगारों की सुरक्षा के लिए ऐसा किया गया.

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आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में भी बराक ओबामा और बाइडेन ने अपने पूर्व कार्यकाल में भारत के साथ सहयोगात्मक रुख रखा था. राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान भी बाइडेन के विजन डॉक्यूमेंट में इसका उल्लेख करते हुए कहा गया है, "बाइडेन का मानना ​​है कि दक्षिण एशिया में आतंकवाद के लिए कोई सहिष्णुता नहीं हो सकती है."

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