बादुरिया में हिंसा
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के बशीरहाट के बादुरिया में सोशल मीडिया पर एक विवादित पोस्ट से भड़की हिंसा अब तक थमी नहीं है. जगह-जगह आगज़नी, तोड़फोड़, बम फेंकने की वारदातें सामने आ रही हैं. बुधवार की हिंसा में छह लोग घायल हुए, जिनमें तीन गंभीर हैं. चार जिले इस हिंसा की ज़द में हैं. हालात से निपटने के लिए पुलिस के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है. मोबाइल इंटरनेट बंद हैं. धारा 144 लागू है. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिंसा पर ममता सरकार से रिपोर्ट मांगी है. उधर, इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है. तृणमूल और बीजेपी एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं. वहीं सीएम ममता बनर्जी के अपमान के आरोपों पर राजभवन का कहना है कि राज्यपाल को किसी से ज्ञान लेने की ज़रूरत नहीं है. मुख्यमंत्री के आरोप राज्यपाल का अपमान करने के बराबर है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्यभर में स्थानीय लोगों के शांतिरक्षण बल गठित करने का फैसला किया है जिन्हें पुलिस और राज्य प्रशासन मदद करेगा.
दरअसल, फेसबुक पर डाली गई एक पोस्ट को लेकर सोमवार की रात को बदुरिया और जिले के बशीरहाट उप-संभाग में दो समुदायों के बीच हिंसा हो गई थी. इसके बाद से हालात तनावपूर्ण हैं और मामले में एक युवक को गिरफ्तार भी किया गया. ममता ने कहा कि राज्य के करीब 60 हजार बूथों पर सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के लिए शांति वाहिनी तैनात की जाएंगी. हिंसा को लेकर ममता और राज्यपाल के बीच ठन गई है. ममता ने राज्यपाल पर भाजपा के ब्लॉक अध्यक्ष की तरह काम करने और उन्हें धमकाने का आरोप लगाया.
राज भवन ने ममता के रवैये और भाषा पर हैरानी जताते हुए कहा, राज्यपाल प्रदेश के मामलों में मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकता. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि ये केवल राज्य की जनता को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने के लिए लगाए गए हैं.
राज भवन की एक विज्ञप्ति में कहा गया, राज्यपाल के खिलाफ आरोप लगाने के बजाय मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों के लिए बेहतर है कि राज्य में शांति और कानून व्यवस्था बनाने पर ध्यान केंद्रित करें और जाति, वर्ण या संप्रदाय के आधार पर कोई भेद नहीं करें. ममता और उनकी पार्टी के नेताओं के राज्यपाल से गतिरोध के बीच भाजपा ने मांग की कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए और राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था को संभालने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों को भेजा जाना चाहिए. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने संवाददाताओं से बातचीत में यह मांग की. माकपा ने भी तृणमूल कांग्रेस सरकार पर बदुरिया में जनता की रक्षा कर पाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया और हालात से निपटने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्यभर में स्थानीय लोगों के शांतिरक्षण बल गठित करने का फैसला किया है जिन्हें पुलिस और राज्य प्रशासन मदद करेगा.
दरअसल, फेसबुक पर डाली गई एक पोस्ट को लेकर सोमवार की रात को बदुरिया और जिले के बशीरहाट उप-संभाग में दो समुदायों के बीच हिंसा हो गई थी. इसके बाद से हालात तनावपूर्ण हैं और मामले में एक युवक को गिरफ्तार भी किया गया. ममता ने कहा कि राज्य के करीब 60 हजार बूथों पर सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के लिए शांति वाहिनी तैनात की जाएंगी. हिंसा को लेकर ममता और राज्यपाल के बीच ठन गई है. ममता ने राज्यपाल पर भाजपा के ब्लॉक अध्यक्ष की तरह काम करने और उन्हें धमकाने का आरोप लगाया.
राज भवन ने ममता के रवैये और भाषा पर हैरानी जताते हुए कहा, राज्यपाल प्रदेश के मामलों में मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकता. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि ये केवल राज्य की जनता को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने के लिए लगाए गए हैं.
राज भवन की एक विज्ञप्ति में कहा गया, राज्यपाल के खिलाफ आरोप लगाने के बजाय मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों के लिए बेहतर है कि राज्य में शांति और कानून व्यवस्था बनाने पर ध्यान केंद्रित करें और जाति, वर्ण या संप्रदाय के आधार पर कोई भेद नहीं करें. ममता और उनकी पार्टी के नेताओं के राज्यपाल से गतिरोध के बीच भाजपा ने मांग की कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए और राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था को संभालने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों को भेजा जाना चाहिए. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने संवाददाताओं से बातचीत में यह मांग की. माकपा ने भी तृणमूल कांग्रेस सरकार पर बदुरिया में जनता की रक्षा कर पाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया और हालात से निपटने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की.
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