फाइल फोटो
नई दिल्ली:
अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों को उच्च शिक्षा की खातिर प्रोत्साहित करने के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की प्रस्तावित 'शादी शगुन' योजना की घोषणा करीब आठ महीने पहले की गई थी, लेकिन अब तक इसकी पूरी रूपरेखा तैयार नहीं हो पाई और यह भी तय नहीं हुआ है कि इसे कब लागू किया जाएगा.
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अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्तावित योजना से जुड़े नियम और शर्ते जल्द तय कर ली जाएंगी, हालांकि इसके क्रियान्वयन की तिथि अभी तय नहीं है. इस प्रस्तावित योजना के तहत उन अल्पसंख्यक लड़कियों को 51,000 रुपये की राशि बतौर 'शादी शगुन' दी जाएगी जो स्नातक की पढ़ाई पूरी करेंगी.
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था 'मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन' (एमएईएफ) के जरिये इस योजना को क्रियान्वयन किया जाना है. पिछले साल जुलाई में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की अध्यक्षता में हुई एमएईएफ की बैठक में लड़कियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के संदर्भ में कुछ फैसले किए गए जिनमें ये फैसला प्रमुख है्
उधर, एमएईएफ के सचिव रिजवानुर रहमान ने इस बारे में कहा, 'शादी शगुन योजना पर काम चल रहा है और इसको जल्द अंतिम रूप दे दिया जाएगा.' यह पूछे जाने पर कि क्या गवर्निंग बॉडी की अगली बैठक में इस योजना की समूची रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया जाएगा तो रहमान ने कहा कि इसकी पूरी संभावना है.
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एमएईएफ की गवर्निंग बॉडी की बैठक इस महीने के आखिर या अप्रैल के पहले सप्ताह में होगी. एमएईएफ सचिव का कहना है कि इस योजना का मकसद मुस्लिम लड़कियों और उनके अभिभावकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना है कि लड़कियां विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी कर सकें.
रहमान ने कहा कि शुरुआती तौर पर यह तय किया गया था कि इस योजना का लाभ स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाली उन्हीं मुस्लिम लड़कियों को मिलेगा जिन्होंने स्कूली स्तर पर एमएईएफ की ओर से मिलने वाली छात्रवृत्ति हासिल की होगी.
गौरतलब है कि एमएईएफ अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों के लिए बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना चला रहा है. इसके तहत नौवीं और 10वीं कक्षा की लड़कियों को 5-5 हजार रुपये और 11वीं और 12वीं कक्षा की लड़कियों को 6-6 हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है.
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अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्तावित योजना से जुड़े नियम और शर्ते जल्द तय कर ली जाएंगी, हालांकि इसके क्रियान्वयन की तिथि अभी तय नहीं है. इस प्रस्तावित योजना के तहत उन अल्पसंख्यक लड़कियों को 51,000 रुपये की राशि बतौर 'शादी शगुन' दी जाएगी जो स्नातक की पढ़ाई पूरी करेंगी.
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था 'मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन' (एमएईएफ) के जरिये इस योजना को क्रियान्वयन किया जाना है. पिछले साल जुलाई में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की अध्यक्षता में हुई एमएईएफ की बैठक में लड़कियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के संदर्भ में कुछ फैसले किए गए जिनमें ये फैसला प्रमुख है्
उधर, एमएईएफ के सचिव रिजवानुर रहमान ने इस बारे में कहा, 'शादी शगुन योजना पर काम चल रहा है और इसको जल्द अंतिम रूप दे दिया जाएगा.' यह पूछे जाने पर कि क्या गवर्निंग बॉडी की अगली बैठक में इस योजना की समूची रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया जाएगा तो रहमान ने कहा कि इसकी पूरी संभावना है.
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एमएईएफ की गवर्निंग बॉडी की बैठक इस महीने के आखिर या अप्रैल के पहले सप्ताह में होगी. एमएईएफ सचिव का कहना है कि इस योजना का मकसद मुस्लिम लड़कियों और उनके अभिभावकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना है कि लड़कियां विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी कर सकें.
रहमान ने कहा कि शुरुआती तौर पर यह तय किया गया था कि इस योजना का लाभ स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाली उन्हीं मुस्लिम लड़कियों को मिलेगा जिन्होंने स्कूली स्तर पर एमएईएफ की ओर से मिलने वाली छात्रवृत्ति हासिल की होगी.
गौरतलब है कि एमएईएफ अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों के लिए बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना चला रहा है. इसके तहत नौवीं और 10वीं कक्षा की लड़कियों को 5-5 हजार रुपये और 11वीं और 12वीं कक्षा की लड़कियों को 6-6 हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है.
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