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This Article is From Oct 02, 2018

इस साल सामान्य के 9% कम रहा मॉनसून, बिहार-झारखंड में सबसे कम बारिश

2019 लोकसभा चुनावों से पहले देश में हालात वैसे नहीं हैं जैसा सत्ताधारी बीजेपी चाहती होगी. पहली बुरी खबर महंगाई को लेकर है.

इस साल सामान्य के 9% कम रहा मॉनसून, बिहार-झारखंड में सबसे कम बारिश
सबसे कम बारिश पूर्वी भारत में झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में रिकॉर्ड की गई है.
नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनावों से पहले देश में हालात वैसे नहीं हैं जैसा सत्ताधारी बीजेपी चाहती होगी. पहली बुरी खबर महंगाई को लेकर है. अतंर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार में कच्चा तेल महंगा हुआ है, जिसकी वजह से पेट्रोल-डीज़ल महंगा होता जा रहा है. पिछले दो महीनों में पेट्रोल 7.24 प्रति लीटर महंगा हुआ है, जबकि डीज़ल 7.04 प्रति लीटर महंगा हुआ है. मुंबई में पेट्रोल 91 रुपये प्रति लीटर के पार जा चुका है. इसका असर ट्रांसपोर्ट पर पड़ेगा. जिससे आम ज़रूरत की चीज़ें महंगी होंगी. साथ ही, रुपये का कमज़ोर होना भी सरकार के लिए बुरी खबर है.

इसका सीधा असर आयात होने वाली चीज़ों पर पड़ेगा जो महंगी होंगी और जिसका असर महंगाई दर पर भी पड़ेगा. अब मौसम विभाग का पूर्वानुमान भी गलत साबित हुआ है और इस साल औसत से कम बारिश हुई है, जिसका सीधा असर अनाज की पैदावार पर पड़ सकता है. मौसम भवन ने इस साल अप्रैल में पूर्वानुमान दिया था कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न के दौरान सामान्य बारिश होगी लेकिन इस बार औसत से 9% कम बारिश हुई है.

सबसे कम बारिश पूर्वी भारत में झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में रिकॉर्ड की गई है.2019 के चुनाव के नज़रिए से राजनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण बिहार में औसत से 25% कम बारिश हुई है, जबकि झारखंड में औसत से 28% कम और पश्चिम बंगाल में औसत से 21% कम बारिश रिकॉर्ड की गई है.

VIDEO : इस साल सामान्य से 9 प्रतिशत कम रहा मॉनसून


प्रधानमंत्री के राज्य गुजरात में औसत से 28% कम बारिश हुई है. सबसे कम बारिश सौराष्ट्र क्षेत्र में हुई है. साफ है...कमज़ोर मॉनसून का असर मतदाताओं के रवैये पर पड़ता है. कमज़ोर मॉनसून वाले इलाकों में किसानों की नाराज़गी और बढ़ सकती है. साफ है, तेल की बढ़ती कीमतें, कमज़ोर रुपया, और कमज़ोर मॉनसून सत्ताधारी दल के लिए बुरी खबर है, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक जैसे भावनात्मक मुद्दे सरकार के पास हैं जो पहले उसके लिए फ़ायदेमंद साबित हो चुके हैं. राम मंदिर मुद्दे का भी मतदाताओं पर काफी असर पड़ सकता है. जिसका फायदा सत्ताधारी दल को मिल सकता है. साफ है, 2019 की राजनीतिक लड़ाई अभी शुरू ही हुई है.

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