
यमुना में प्रदूषण की फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
एक अहम सुनवाई में एनजीटी ने आज साफ किया कि वो सारे धर्मों की भावनाओं का सम्मान करती है और उसने कभी ये आदेश नहीं दिया कि यमुना में मूर्तियों के विसर्जन पर प्रतिबंध है या फिर बंद किया जाए। एनजीटी का कहना था कि वो केवल यही चाहती है कि प्रदूषण को रोका जाए और तय जगहों पर ही मूर्तियों का विसर्जन हो।
एनजीटी ने दिल्ली सरकार, एमसीडी और संबंधित एजेंसियों को आदेश दिया कि विसर्जन करने की जगहों को बढ़ाया जाए, मूर्तियों को फेंका न जाए और फूलों को कैसे लोग नदी में डालें, इसके लिए पुख्ता प्रणाली बनाई जाए। एनजीटी ने कहा, दिल्ली सरकार, एमसीडी और संबंधित एजेंसियां तुरंत मीटिंग कर कल से ही इसे लागू करें। एनजीटी ने मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को तय की है।
दरअसल, दीपावली और छठ के दौरान बड़ी तादात में लोग मूर्तियों का विसर्जन करते हैं। एनजीटी ने ये आदेश उस याचिका की सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें कहा गया था कि मूर्ति विसर्जन के मामले में एनजीटी का जो आदेश था उससे देवी-देवताओं की मूर्तियों का अपमान होता है।
एनजीटी ने दिल्ली सरकार, एमसीडी और संबंधित एजेंसियों को आदेश दिया कि विसर्जन करने की जगहों को बढ़ाया जाए, मूर्तियों को फेंका न जाए और फूलों को कैसे लोग नदी में डालें, इसके लिए पुख्ता प्रणाली बनाई जाए। एनजीटी ने कहा, दिल्ली सरकार, एमसीडी और संबंधित एजेंसियां तुरंत मीटिंग कर कल से ही इसे लागू करें। एनजीटी ने मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को तय की है।
दरअसल, दीपावली और छठ के दौरान बड़ी तादात में लोग मूर्तियों का विसर्जन करते हैं। एनजीटी ने ये आदेश उस याचिका की सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें कहा गया था कि मूर्ति विसर्जन के मामले में एनजीटी का जो आदेश था उससे देवी-देवताओं की मूर्तियों का अपमान होता है।
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