असम के पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत (Bhaskar Jyoti Mahanta) ने कहा कि राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Act) के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन काफी हद तक थम गए हैं, पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी रख रही है कि स्थिति फिर से नियंत्रण से बाहर न हो जाए. NDTV से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'हम शांति के रास्ते पर अग्रसर हैं. आज एक बेहतर दिन है, लेकिन हम कड़ी निगरानी रखेंगे. हमारे पास अपने कर्तव्य हैं, और हमारी टीमें अथक प्रयास कर रही हैं. यह कठिन समय है, लेकिन हम इस पर काम कर रहे हैं.
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हालांकि, महंत ने कहा, आज हमने स्थिति पर कड़ा रुख रखने के खिलाफ फैसला किया. लोगों को बाहर आने और घरेलू सामान खरीदने की अनुमति दी जा रही है. उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य होने पर इंटरनेट कनेक्टिविटी वापस बहाल कर दी जाएगी. बता दें कि असम के गुवाहाटी में गुरुवार को बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई. इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में दो प्रदर्शनकारियों की मौत भी हो गई साथ ही एक हजार से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया.
नागरिकता संशोधन बिल: क्यों असम में भड़की विरोध की आग
पुलिस महानिदेशक ने NDTV को बताया कि असम में शुरुआत में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, जिसपर बाद में अराजक तत्वों ने 'कब्जा' कर लिया. हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि शनिवार से चीजें बेहतर हो जाएंगी.
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रेलवे स्टेशन को जलाया
वहीं, दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक रेलवे स्टेशन परिसर में शुक्रवार शाम को हजारों लोगों ने नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बेलडांगा रेलवे स्टेशन परिसर में तैनात आरपीएफ कर्मियों की पिटाई भी की. आरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, 'प्रदर्शनकारियों ने अचानक रेलवे स्टेशन परिसर में प्रवेश किया और प्लेटफॉर्म, दो-तीन इमारतों और रेलवे कार्यालयों में आग लगा दी. जब आरपीएफ कर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्हें बेरहमी से पीटा गया.'
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