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This Article is From Sep 10, 2016

राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को जाकिर नाइक के चंदे को लेकर बीजेपी-कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज

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राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को जाकिर नाइक के चंदे को लेकर बीजेपी-कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज
जाकिर नाइक की फाइल तस्वीर
मुंबई / नई दिल्ली: विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन द्वारा साल 2011 में राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को चंदे के तौर पर 50 लाख रुपये देने के मामले मामले पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच तलवारें तन गई हैं. बीजेपी इसे राष्ट्रविरोधी बता रही है, वहीं कांग्रेस का आरोप है कि सत्ता में बैठे लोग मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ रहे हैं.

50 लाख रुपये की रकम चंदा थी या देश विरोधी गतिविधियों पर पर्दा डालने के लिए घूस- ये सवाल विवादित धर्मगुरु जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के उन पैसों पर उठे हैं, जो उसने राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को 2011 में दिए थे. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जाकिर नाइक के एनजीओ ने राजीव गांधी ट्रस्ट को 2011 में 50 लाख रुपये दिए. कांग्रेस ने शुरू में इसे नकारा. इस रकम को उसने तत्काल क्यों नहीं लौटाया. रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि 50 लाख का चंदा एक तरह की घूस थी, जाकिर नाइक के राष्ट्रविरोधी कामों को छिपाने के लिए.

कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछली यूपीए सरकार में रहे 'निहित स्वार्थ' वाले तत्वों पर नाइक को बचाने का आरोप लगाया. उन्होंने 2012 में लोकसभा में तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी की ओर से दिए गए कथित जवाब दिखाते हुए यह आरोप लगाया. तिवारी ने कथित तौर पर अपने जवाब में नाइक के पीस टीवी को ऐसे 24 अवैध विदेशी चैनलों में से एक बताया था, जिनकी विषय-वस्तु भारत के सुरक्षा परिदृश्य के अनुकूल नहीं है.

रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस से सवाल किया कि 2011 में उसने आईआरएफ की ओर से दिया गया चंदा क्यों नहीं लौटाया, जब उसी की सरकार ने नाइक के टीवी चैनल के बाबत सुरक्षा चिंताएं जाहिर की थी.

केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस के इस दावे पर भी संदेह जाहिर किया कि पैसे कुछ महीने बाद लौटा दिए गए थे. उन्होंने कहा कि एनजीओ ने पैसे वापस मिलने की बात से इनकार किया है. एक संवाददाता सम्मेलन में रविशंकर प्रसाद ने तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान की ओर से मनीष तिवारी को फरवरी, 2013 में लिखे गए एक पत्र का हवाला दिया, जिसमें नाइक को 'प्रतिष्ठित इस्लामी विद्वान' करार दिया गया था और एक क्षेत्रीय चैनल एवं एक हिंदू संगठन की ओर से चलाए गए अभियानों से उसके लिए सरकारी संरक्षण की मांग की गई थी.

उधर कांग्रेस का कहना है कि सत्ता में बैठे लोगों का व्यवहार गैर-जिम्मेदाराना है. ट्रस्ट ने पैसे वापस लौटा दिए. कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्ता में बैठे लोग मामले को सनसनीखेज बना रहे हैं, पैसे दो महीने पहले वापस किए जा चुके हैं.

वहीं, इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन से जुड़े लोगों का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया. संस्था पर सियासी शै के लिए पैसे देने का आरोप गलत है. जाकिर नाइक के वकील मुबीन सोलकर ने कहा कि 2012 में आईआरएफ के ऊपर कई मामले दर्ज हुए, ऐसे में ये कहना गलत है कि हमने सियासी फायदे के लिए चंदा दिया. राजीव गांधी ट्रस्ट सियासी संगठन है, तो ऐसी संस्था जो दान के नाम पर राजनीतिक संगठन चलाती हो, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी भी शामिल हैं. यह ट्रस्ट 2002 में शुरू हुआ था. बांग्लादेश में आतंकी हमलों के बाद से जाकिर नाइक को लेकर विवाद गहराया है. उनके संगठन पर विदेशों से पैसे जुटाकर युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा की तरफ धकेलने का आरोप है. (इनपुट भाषा से)

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