राष्ट्रपति को पत्र लिखने वाले पांचों छात्र
भोपाल:
व्यापमं मामले की आंच अब धीरे-धीरे कई लोगों को अपनी जद में लेती जा रही है। ताज़ा घटनाक्रम में व्यापमं मामले में आरोपी मध्यप्रदेश गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के पांच छात्रों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक चिट्ठी लिखकर उनसे या तो इंसाफ या फिर मरने की अनुमति देने की गुहार लगाई है।
इन छात्रों का आरोप है कि इस घोटाले में अपने आपको निर्दोष साबित करने के बाद भी उनके साथ कॉलेज में छात्रों और शिक्षकों द्वारा भेदभाव किया जा रहा है।
इन पांच छात्रों के नाम उन ढाई हज़ार छात्रों के नाम में शामिल था जिन्हें इस घोटाले में आरोपी बनाया गया था। व्यापमं घोटाले में राज्य भर के सरकारी कॉलेजों में एडमिशन पाने और सरकारी नौकरियों में जाने के लिए खुल्लम खुल्ला ग़ैरकानूनी तरीके से पैसों का लेनदेन हुआ है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लिखी अपनी चिट्ठी में इन छात्रों ने दावा किया कि साल 2010 में हुए पीएमटी की मेडिकल परीक्षा का इंट्रेंस टेस्ट पास कर लिया था लेकिन इसके तीन साल बाद उन्हें व्यापमं घोटाले में आरोपी बना दिया गया था। छात्रों के अनुसार ऐसा उनके एडमिट कार्ड और कॉलेज आईडेंटिटी कार्ड में उनकी फोटो और हस्ताक्षर के नहीं मिलने के कारण किया गया था।
संदेह के आधार पर हिरासत
व्यापमं घोटाले की जांच के दौरान में ये पाया गया था कि ज़्यादातर धांधली या चोरी के मामलों में परिक्षार्थी की जगह परीक्षा देने के लिए कोई बाहरी व्यक्ति आया करता था और ये पांचों छात्र उन 95 छात्रों की लिस्ट में शामिल थे जिन्हें संदेह के आधार पर हिरासत में लिया गया था।
लेकिन बाद में ये पांचों छात्रों फिंगरप्रिंट टेस्ट में सफल हुए और इन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए हाईकोर्ट से अनुमति मांगी जिसे हाईकोर्ट ने मान लिया। इतना ही नहीं इन छात्रों ने कोर्ट से अपने उपर किसी भी तरह का पुलिस केस चलाए जाने पर भी स्टे-ऑर्डर ले लिया था।
कोर्ट के आदेश के बाद कॉलेज प्रशासन ने इन पांचों छात्रों का दोबारा एडमिशन ले लिया लेकिन अब इनका आरोप है कि इनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
इनमें से एक अमित चढ्ढा कहते हैं, 'लोग हमें किसी अपराधी की तरह देखते हैं, वो जिसके ख़िलाफ़ कोर्ट केस हो। वो हमें ढोंगी कह कर पुकारते हैं और हमारे answer sheets को भी अलग रखा जाता है।'
मेंटल टॉर्चर
अमित आगे कहते हैं, 'ये एक तरह का मेंटल टॉर्चर है, हमें इंसाफ़ चाहिए नहीं तो हमें मरने की अनुमति दे दी जाए।' अमित के साथ अन्य चारों छात्र मनीष गुप्ता, विकास गुप्ता, राघवेंद्र भदौरिया और पंकज बंसल भी सहमति में अपना सिर हिला दिया।
लेकिन गजरा राजा मेडिकल कॉलेज प्रशासन के अनुसार उन्हें इन छात्रों से किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है। कॉलेज के एकज़्यूकेटिव डीन डॉ. जे एस सिकरवार कहते हैं, 'हमारे यहां किसी भी छात्र से भेदभाव करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।'
व्यापमं शब्द हिंदी में राज्य के एक्ज़ाम बोर्ड का शॉर्ट फॉर्म है। ऐसा माना जा रहा है कि इस घोटाले के तार न सिर्फ़ राज्य के आम लोगों बल्कि मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों, जजों, अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों से जुड़े हुए हैं और इसको लेकर देशभर में राजनीति गरमा गई है।
इन छात्रों का आरोप है कि इस घोटाले में अपने आपको निर्दोष साबित करने के बाद भी उनके साथ कॉलेज में छात्रों और शिक्षकों द्वारा भेदभाव किया जा रहा है।
इन पांच छात्रों के नाम उन ढाई हज़ार छात्रों के नाम में शामिल था जिन्हें इस घोटाले में आरोपी बनाया गया था। व्यापमं घोटाले में राज्य भर के सरकारी कॉलेजों में एडमिशन पाने और सरकारी नौकरियों में जाने के लिए खुल्लम खुल्ला ग़ैरकानूनी तरीके से पैसों का लेनदेन हुआ है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लिखी अपनी चिट्ठी में इन छात्रों ने दावा किया कि साल 2010 में हुए पीएमटी की मेडिकल परीक्षा का इंट्रेंस टेस्ट पास कर लिया था लेकिन इसके तीन साल बाद उन्हें व्यापमं घोटाले में आरोपी बना दिया गया था। छात्रों के अनुसार ऐसा उनके एडमिट कार्ड और कॉलेज आईडेंटिटी कार्ड में उनकी फोटो और हस्ताक्षर के नहीं मिलने के कारण किया गया था।
संदेह के आधार पर हिरासत
व्यापमं घोटाले की जांच के दौरान में ये पाया गया था कि ज़्यादातर धांधली या चोरी के मामलों में परिक्षार्थी की जगह परीक्षा देने के लिए कोई बाहरी व्यक्ति आया करता था और ये पांचों छात्र उन 95 छात्रों की लिस्ट में शामिल थे जिन्हें संदेह के आधार पर हिरासत में लिया गया था।
लेकिन बाद में ये पांचों छात्रों फिंगरप्रिंट टेस्ट में सफल हुए और इन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए हाईकोर्ट से अनुमति मांगी जिसे हाईकोर्ट ने मान लिया। इतना ही नहीं इन छात्रों ने कोर्ट से अपने उपर किसी भी तरह का पुलिस केस चलाए जाने पर भी स्टे-ऑर्डर ले लिया था।
कोर्ट के आदेश के बाद कॉलेज प्रशासन ने इन पांचों छात्रों का दोबारा एडमिशन ले लिया लेकिन अब इनका आरोप है कि इनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
इनमें से एक अमित चढ्ढा कहते हैं, 'लोग हमें किसी अपराधी की तरह देखते हैं, वो जिसके ख़िलाफ़ कोर्ट केस हो। वो हमें ढोंगी कह कर पुकारते हैं और हमारे answer sheets को भी अलग रखा जाता है।'
मेंटल टॉर्चर
अमित आगे कहते हैं, 'ये एक तरह का मेंटल टॉर्चर है, हमें इंसाफ़ चाहिए नहीं तो हमें मरने की अनुमति दे दी जाए।' अमित के साथ अन्य चारों छात्र मनीष गुप्ता, विकास गुप्ता, राघवेंद्र भदौरिया और पंकज बंसल भी सहमति में अपना सिर हिला दिया।
लेकिन गजरा राजा मेडिकल कॉलेज प्रशासन के अनुसार उन्हें इन छात्रों से किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है। कॉलेज के एकज़्यूकेटिव डीन डॉ. जे एस सिकरवार कहते हैं, 'हमारे यहां किसी भी छात्र से भेदभाव करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।'
व्यापमं शब्द हिंदी में राज्य के एक्ज़ाम बोर्ड का शॉर्ट फॉर्म है। ऐसा माना जा रहा है कि इस घोटाले के तार न सिर्फ़ राज्य के आम लोगों बल्कि मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों, जजों, अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों से जुड़े हुए हैं और इसको लेकर देशभर में राजनीति गरमा गई है।
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