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This Article is From Jul 12, 2015

लखवी की आवाज़ का नमूना : पाकिस्तान ने कल का वादा आज ही भुला दिया?

लखवी की आवाज़ का नमूना : पाकिस्तान ने कल का वादा आज ही भुला दिया?
जकीउर रहमान लखवी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: रूस के शहर उफ़ा में दो दिन पहले जारी हुआ भारत और पाकिस्तान के साझा बयान पर सवाल पैदा हो गया है। पाकिस्तान से आ रही जानकारी के मुताबिक वो मुंबई हमले के आतंकवादी ज़कीउर रहमान लखवी की आवाज़ का नमूना भारत को नहीं सौंपेगा। जबकि पांच सूत्री साझा बयान के पांचवे सूत्र के तौर पर दोनों देशों के बीच ये सहमति बनी है कि मुंबई हमला मामले के तेज़ निपटारे का रास्ता और तरीका ढूंढने के लिए दोनों देश आपस में सलाह मशविरा करेंगे। इसमें आवाज़ का नमूना देने समेत अतिरिक्त जानकारी मुहैया कराना शामिल है। लेकिन 48 घंटे भीतर ही इस साझा बयान से पाकिस्तान मुकरता नज़र आ रहा है।

लखवी को सज़ा तक पहुंचाने के लिए बनाई गई टीम के मुखिया और सरकारी वकील चौधरी अज़हर के मुताबिक चार साल पहले रावलपिंडी की एक अदालत ने इस याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि पाकिस्तान में ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत किसी अभियुक्त (लखवी) की आवाज़ का नमूना हासिल किया जा सके। अज़हर का ये भी कहना है कि पाकिस्तान की सरकार आतंकवाद निरोधी अदालत में मुंबई हमले मामले के अभियुक्त लखवी की आवाज़ का नमूना हासिल करने के लिए फिर से कोई याचिका दायर नहीं करेगी। लखवी को 10 अप्रैल 2015 अदालत ने सबूतों की कमी के आधार पर ज़मानत दे दी थी और तब से वो आज़ाद है।

अज़हर का ये भी कहना है कि लखवी के आवाज़ के नमूने का मामला ख़त्म हो चुका है। हमने 2011 में ही इसकी मांग की थी लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।

अगर पाकिस्तान अपने वादे पर अमल करता है तो पहले उसे अपनी संसद में ऐसा कानून पास करना होगा जिससे अभियुक्त से उसकी मर्जी के बिना भी आवाज़ का नमूना हासिल किया जा सके। लखवी के वकील रिज़वान अब्बासी पहले ही कह चुके हैं कि उनका मुवक्किल अपनी आवाज़ का नमूना देने के लिए न तो पहले तैयार हुआ है और न ही आगे कभी तैयार होगा।

अब ऐसे में पाकिस्तान आवाज़ का नमूना देने के अपने वादे पर कैसे अमल करेगा ये लाख टके का सवाल है।

पाकिस्तान हमेशा ये कहता रहा है कि वो मुंबई हमले के दोषियों को सज़ा तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत की तरफ से ठोस सबूत नहीं दिए गए हैं जिससे अदालत में दिक्कत आ रही है। लेकिन बड़ी सच्चाई ये है कि भारत के दिए सबूत को पाकिस्तान पूरा नहीं मानता और जो सबूत वो मुहैया करा सकता है उस पर अमल नहीं करता। नतीजा सात साल से मामला लंबित है। लश्कर ए तैयबा का सरगना हाफिज़ सईद पहले ही बरी हो चुका है और लखवी भी बाहर आ चुका है। रावलपिंडी जेल में 6 और अभियुक्त क़ैद हैं जिनमें अब्दुल वाजिद, मज़हर इक़बाल, हमद अमीन सादिक़, शाहिद जमील रियाज़, जमील अहमद और यूनुस अंजुम शामिल हैं। यही हाल रहा तो एक दिन ख़तरा इन सबके छूट जाने का है।

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