वकील विक्रम सिंह चौहान के आह्वान पर सैकड़ों की संख्या में वकील सड़कों पर निकले।
नई दिल्ली:
सैकड़ों की संख्या में वकीलों ने शुक्रवार को देश की राजधानी की सड़कों पर मार्च किया। इसका आह्वान वकील विक्रम सिंह चौहान ने किया था। गौरतब है कि जेएनयू मामले में द्रेशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार छात्र नेता कन्हैया कुमार के समर्थकों और पत्रकारों पर इस सप्ताह हुए हमले में मामले में विक्रम और उसके कुछ वकील साथियों का नाम सुर्खियों में रहा है।
चौहान ने फेसबुक पर वकीलों से उस शांति मार्च (पीस मार्च) से जुड़ने की अपील की थी जो उसके अनुसार, वकीलों की छवि खराब करने के लिए मीडिया के एक वर्ग की ओर से चलाया जा रहा है। चौहान ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस के उस आदेश की अनदेखी की थी जिसमें उसे कन्हैया के मामले की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान हुई हिंसा के बारे में पूछताछ के लिए तलब किया गया था।जेएनयू परिसर में हुए एक कार्यक्रम में देश विरोधी कमेंट के मामले में कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है।
NDTV के साथ चर्चा के दौरान गुरुवार को विक्रम ने कहा था, 'वकील भी भारतीय नागरिक होते हैं। कोई भी इस बात की इजाजत कैसे दे सकता है कि देश में भारत विरोधी नारेबाजी या पाक समर्थक नारे लगाए जाएं।' बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस हमले पर खेद जताते हुए जांच शुरू की है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कोर्ट परिसर में हिंसा की घटना को नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत की ओर से हिंसा की समीक्षा भी की जा रही है। इसके बावजूद फेसबुक और वाट्सएप पर चौहान और उनके साथियों की ओर से एक-दूसरे के 'कार्य' की प्रशंसा की जा रही है। उकसाने वाली टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नजर रखने संबंधी चेतावनी के बावजूद वकीलों की ओर से कल चौहान को दिल्ली के एक कोर्ट में माला पहनाकर सम्मानित किया गया था।
चौहान ने फेसबुक पर वकीलों से उस शांति मार्च (पीस मार्च) से जुड़ने की अपील की थी जो उसके अनुसार, वकीलों की छवि खराब करने के लिए मीडिया के एक वर्ग की ओर से चलाया जा रहा है। चौहान ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस के उस आदेश की अनदेखी की थी जिसमें उसे कन्हैया के मामले की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान हुई हिंसा के बारे में पूछताछ के लिए तलब किया गया था।जेएनयू परिसर में हुए एक कार्यक्रम में देश विरोधी कमेंट के मामले में कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है।
NDTV के साथ चर्चा के दौरान गुरुवार को विक्रम ने कहा था, 'वकील भी भारतीय नागरिक होते हैं। कोई भी इस बात की इजाजत कैसे दे सकता है कि देश में भारत विरोधी नारेबाजी या पाक समर्थक नारे लगाए जाएं।' बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस हमले पर खेद जताते हुए जांच शुरू की है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कोर्ट परिसर में हिंसा की घटना को नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत की ओर से हिंसा की समीक्षा भी की जा रही है। इसके बावजूद फेसबुक और वाट्सएप पर चौहान और उनके साथियों की ओर से एक-दूसरे के 'कार्य' की प्रशंसा की जा रही है। उकसाने वाली टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नजर रखने संबंधी चेतावनी के बावजूद वकीलों की ओर से कल चौहान को दिल्ली के एक कोर्ट में माला पहनाकर सम्मानित किया गया था।
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