ब्रिटेन की एक अदालत ने भगोड़े भारतीय कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) को सोमवार को दिवालिया घोषित करने का आदेश जारी किया. अदालत के आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई में भारतीय बैंकों के समूह के लिये बंद पड़ी एयरलाइन किंगफिशर के ऊपर बकाये कर्ज की वसूली को लेकर वैश्विक स्तर पर उनकी संपत्तियों की जब्ती की कार्रवाई कराने का रास्ता साफ हो गया है.
लंदन के हाईकोर्ट के चांसरी डिविजन के मुख्य दिवाला एवं कंपनी मामलों (आईसीसी) के न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स ने मामले की ऑनलाइन सुनवाई के दौरान अपने फैसले में कहा, "मैं माल्या को दिवालिया घोषित करता हूं."
भारतीय बैंकों की पैरवी कर रही लॉ फर्म टीएलटी एलएलपी और बैरिस्टर मार्सिया शेकरडेमियन ने भारतीय बैंकों के पक्ष में दिवालिया आदेश जारी करने को लेकर दलीलें रखीं.
65 साल कारोबारी माल्या फिलहाल ब्रिटेन में जमानत पर हैं. ऐसा समझा जाता है कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया से जुड़े एक अलग मामले में देश में शरण देने के मुद्दे पर गोपनीय कानूनी कार्रवाई का समाधान होने तक वह जमानत पर रह सकते हैं.
माल्या के वकील फिलिप मार्शल ने मामले में स्थगन के साथ-साथ आदेश को स्थगित करने का आग्रह किया. हालांकि, अदालत ने उनके इस आग्रह को अस्वीकार करते हुए कहा कि इस बात के "पर्याप्त सबूत" नहीं है कि याचिकाकर्ताओं को उचित समय पर पूरा कर्ज वापस कर दिया जाएगा.
उन्होंने दिवालिया आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति मांगने वाला एक आवेदन भी रखा, जिसे जज ब्रिग्स ने खारिज कर दिया क्योंकि अपील की सफलता की कोई वास्तविक संभावना नहीं थी.
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