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This Article is From Apr 27, 2012

बंगारू को 4 साल का सश्रम कारावास, देंगे चुनौती

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक फर्जी हथियार विक्रेता से रिश्वत लेने के 10 साल पुराने मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को शनिवार को चार वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। लक्ष्मण ने कहा कि वह इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे।

लक्ष्मण के सजायाफ्ता होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच नोकझोंक शुरू हो गई है। कांग्रेस ने जहां भाजपा को आत्मविश्लेषण करने को कहा, वहीं भाजपा ने राष्ट्रमंडल खेल व 2जी घोटाले के दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने में दिलचस्पी न दिखाने का आरोप लगाया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कंवलजीत अरोड़ा ने मामले में बंगारू को शुक्रवार को दोषी ठहराया था।

अरोड़ा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश ने लक्ष्मण को सजा सुनाते हुए कहा, "समाज और दोषी के दोहरे हित के बीच संतुलन बिठाते हुए मैं यह राय रखता हूं कि न्याय का हित तभी सधेगा जब दोषी भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम की धारा नौ के तहत अपराध के लिए चार वर्ष के सश्रम कारावास की सजा काटे और एक लाख रुपये का जुर्माना भरे।"

अदालत ने कहा, "भ्रष्टाचार के अपराध का साथी सामान्यत: हमारी खुद की बेरुखी है। 'सब चलता है' का लक्षण वर्तमान स्थिति के लिए उत्तरदायी है..हम कहां आ गए हैं, जहां रिश्वत के बिना कोई काम नहीं होता।"

अदालत ने कहा कि यहां तक कि सही चीजों को सही समय पर कराने के लिए लोगों को पैसे देने के लिए बाध्य किया जाता है उन्होंने लोगों से इस तरह के रवैये से दूर रहने की अपील की।

लक्ष्मण पर कोई दया न दिखाते हुए अदालत ने कहा कि एक राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते उनसे उम्मीद की जाती है कि रिश्वत की पेशकश के समय उन्होंने चरित्र की दृढ़ता का परिचय दिया होता लेकिन लक्ष्मण ने ऐसा नहीं किया।

लक्ष्मण के वकील ने पत्रकारों से कहा कि वह फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।

यह मामला 2001 का है, जब न्यूज पोर्टल 'तहलका डॉट कॉम' ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था और लक्ष्मण को एक पत्रकार से रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद कर लिया था। पत्रकार हथियार विक्रेता के भेष में था। बाद में लक्ष्मण ने भाजपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

तहलका ने लक्ष्मण को रिश्वत राशि स्वीकार करते हुए कैमरे में कैद कर लिया था। लक्ष्मण ने यह रिश्वत ब्रिटेन की फर्जी कम्पनी, मेसर्स वेस्ट इंड इंटरनेशनल के लिए भारतीय सेना को थर्मल इमेजर्स की आपूर्ति का ठेका दिलाने में मदद करने के वादे की एवज में ली थी। तहलका ने बाद में इससे सम्बंधित सीडी जारी कर दी।

दिल्ली की एक अदालत ने मई 2011 में लक्ष्मण के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तय किए थे।

लक्ष्मण ने हालांकि, कहा था कि मामले की जांच राजनीति से प्रेरित थी और निष्पक्ष नहीं थी।

कांग्रेस पर इस स्टिंग ऑपरेशन के लिए धन मुहैया कराने का आरोप लगाते हुए लक्ष्मण ने कहा, "कांग्रेस ने तहलका के टेप्स को 2004 के आम चुनाव में इस्तेमाल किया, जिससे साबित होता है कि कांग्रेस या उन लोगों का उससे हित जुड़ा हुआ था, जिन्होंने इस परियोजना को धन मुहैया कराया, जिसमें मुझे फंसाया गया।"

लक्ष्मण के बहाने भाजपा पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि एक राष्ट्रीय दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके नेता को सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा, "भाजपा के लिए आत्मविश्लेषण का यह उपयुक्त समय है, वह अपने संगठन के बारे में फिर से सोचे।"

भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि दोषी करार दिए गए लक्ष्मण की यह 'व्यक्तिगत जवाबदेही' है। वह इससे उबरने के लिए कानूनी मदद लेने के हकदार हैं।

प्रसाद ने केंद्र सरकार पर बोफोर्स तोप सौदा मामले में इतालवी व्यवसायी ओट्टावियो क्वात्रोची को कथित तौर पर फायदा पहुंचाने सहित भ्रष्टाचार के कुछ अन्य मामलों की निष्पक्ष जांच की अनुमति न देने का आरोप लगाया।

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