सोमवार को पार्टी की संसदीय बोर्ड की मीटिंग में पीएम मोदी की मौजूदगी में खूब रोए थे नायडू...
नई दिल्ली:
वेंकैया नायडू को कल बीजेपी ने संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित किया था. उनके नाम का प्रस्ताव केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने रखा था. पूरे बोर्ड ने उनके नाम पर मुहर लगाई. अपनी मां जैसी पार्टी छोड़ने के दुख से वेंकैया नायडू भावुक हो गए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में खूब रोए थे.
पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया, "वह भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि पार्टी मेरी मां की तरह है. इतने वर्षों की सेवा करने के बाद मेरे लिए पार्टी को छोड़ पाना बहुत मुश्किल होगा." जैसे ही रुआंसे हुए, अरुण जेटली जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके पास गए और उन्हें सांत्वना दी. अंतत: नायडू ने पार्टी के निर्णय को स्वीकार कर लिया.
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सूत्रों ने बताया कि वह एक सप्ताह पहले बीजेपी अध्यक्ष से मिले थे और उपराष्ट्रपति पद की लिए चुनाव लड़ने की अनिच्छा जाहिर की थी. उन्होंने शाह से कहा था कि वह पीएम मोदी के साथ 2019 तक काम करना चाहते हैं और फिर वह राजनीति से सन्यास ले लेंगे. शाह ने उनसे कहा कि था वह पार्टी और आरएसएस की पहली पसंद हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी अंत में नायडू को मनाया. आज सुबह जब नायडू ने नामांकन दाखिल किया तो उनके साथ प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कई मंत्री मौजूद थे.
बाद में, वेंकैया नायडू ने संवाददाताओं को बताया कि उन्हें बीजेपी छोड़ दी है और अब उनका किसी भी पार्टी से संबंध नहीं है. उन्होंने पार्टी की बोर्ड मीटिंग के अपने भावुक पलों के बारे में भी बताया.
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नायडू ने संवाददाताओं से कहा, "मैंने अपनी मां डेढ़ साल की उम्र में ही खो दिया था. उसके बाद मैंने अपनी पार्टी को ही मां मान लिया. पार्टी ने मुझे एक बच्चे की तरह ही इस स्तर तक पाला. मेरी लिए पर्टी को छोड़ना बहुत ही दुखद पल है. यही वजह थी कि मैं थोड़ा भावुक हो गया." इसके अलावा, नायडू ने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा, "अब मैं एक संवैधानिक पद को संभालने के लिए तैयार हूं. आशा करता हूं कि मैं न्याय कर सकूंगा...अब मेरा बीजेपी से कोई लेनादेना नहीं है."
पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया, "वह भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि पार्टी मेरी मां की तरह है. इतने वर्षों की सेवा करने के बाद मेरे लिए पार्टी को छोड़ पाना बहुत मुश्किल होगा." जैसे ही रुआंसे हुए, अरुण जेटली जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके पास गए और उन्हें सांत्वना दी. अंतत: नायडू ने पार्टी के निर्णय को स्वीकार कर लिया.
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