उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू (फाइल फोटो )
नई दिल्ली:
राज्यसभा में हंगामा कर सदन की कार्यवाही को बाधित करने वाले सांसदों और राजनीतिक दलों पर नकेल कसने के लिए सभापति वेंकैया नायडू ने तैयारी शुरू कर दी है. नायडू ने सोमवार को राज्यसभा के कंडक्ट आफ बिज़नेस में ज़रूरी बदलाव पर विचार करने के लिए एक दो सदस्य वाली कमेटी के गठन का एलान कर दिया. राज्यसभा सचिवालय की तरफ से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि इसकी अध्यक्षता राज्यसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल वीके अग्निहोत्री करेंगे.
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राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल देश दीपक वर्मा ने सोमवार को एक मीडिया ब्रिफिंग में कहा कि फिलहाल राज्य सभा के नियमों में सदन की कार्यवाही को जानबूझ कर बाधित करने वाले सांसदों के स्वत: निलंबन के लिए कोई प्रावधान नहीं है. जबकि लोक सभा के नियम 374(A) में ऐसे सांसदों के लिए प्रावधान है. इसलिए राज्यसभा में भी लोकसभा की तर्ज़ पर सांसदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान नियमों में शामिल करना बेहद ज़रूरी है. वर्मा ने कहा कि विशेषाधिकार, व्यवस्था के प्रश्न, नियम स्थगित किए जाने आदि से संबंधित राज्यसभा के नियम अपर्याप्त प्रतीत होते हैं और बहुत विशिष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर सभापति ने दो सदस्यीय एक समिति का गठन किया है.
वीडियो : महाभियोग पर बहस
राज्यसभा के पूर्व महासचिव वी के अग्निहोत्री इस समिति के प्रमुख होंगे. समिति में कानून मंत्रालय के सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव एस आर धलेता भी शामिल होंगे. वर्मा ने कहा कि समिति राज्यसभा के नियमों और प्रक्रियाओं के प्रावधानों की समीक्षा करेगी और उसमें उचित संशोधन का सुझाव देगी. उन्होंने कहा कि इसका मकसद उच्च सदन की उत्पादकता में वृद्धि लाना और कार्यवाही में अक्सर होने वाले व्यवधान पर काबू पाना है. उन्होंने कहा कि समिति की सिफारिशों में सभी पक्षों और राजनीतिक दलों के विचारों पर भी गौर किया जाएगा.
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राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल देश दीपक वर्मा ने सोमवार को एक मीडिया ब्रिफिंग में कहा कि फिलहाल राज्य सभा के नियमों में सदन की कार्यवाही को जानबूझ कर बाधित करने वाले सांसदों के स्वत: निलंबन के लिए कोई प्रावधान नहीं है. जबकि लोक सभा के नियम 374(A) में ऐसे सांसदों के लिए प्रावधान है. इसलिए राज्यसभा में भी लोकसभा की तर्ज़ पर सांसदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान नियमों में शामिल करना बेहद ज़रूरी है. वर्मा ने कहा कि विशेषाधिकार, व्यवस्था के प्रश्न, नियम स्थगित किए जाने आदि से संबंधित राज्यसभा के नियम अपर्याप्त प्रतीत होते हैं और बहुत विशिष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर सभापति ने दो सदस्यीय एक समिति का गठन किया है.
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राज्यसभा के पूर्व महासचिव वी के अग्निहोत्री इस समिति के प्रमुख होंगे. समिति में कानून मंत्रालय के सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव एस आर धलेता भी शामिल होंगे. वर्मा ने कहा कि समिति राज्यसभा के नियमों और प्रक्रियाओं के प्रावधानों की समीक्षा करेगी और उसमें उचित संशोधन का सुझाव देगी. उन्होंने कहा कि इसका मकसद उच्च सदन की उत्पादकता में वृद्धि लाना और कार्यवाही में अक्सर होने वाले व्यवधान पर काबू पाना है. उन्होंने कहा कि समिति की सिफारिशों में सभी पक्षों और राजनीतिक दलों के विचारों पर भी गौर किया जाएगा.
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